– २१ फरवरी को सीता घाट पर होगा विसर्जन
‘पाकिस्तान में कई हिंदुओं की इच्छा होती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाएं। ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। उनके परिजन उनकी यह अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में अस्थियों को मंदिरों में कलश में सुरक्षित रखा जाता है। जब पर्याप्त संख्या में कलश इकट्ठे हो जाते हैं, तो भारत का वीजा लेने का प्रयास किया जाता है। इस तरह मृतक या उनके परिवारों की अंतिम इच्छा पूरी होती है। हम लगभग ४८० कलश लेकर आए हैं। ये अस्थियां पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की गई हैं। इन्हें मोक्ष के लिए गंगा में विसर्जित किया जाएगा।’
पाकिस्तानी हिंदुओं का एक समूह वाघा-अटारी बॉर्डर होते हुए सोमवार को ४८० अस्थियां लेकर भारत आया है। ये अस्थियां पाकिस्तानी हिंदुओं के परिजनों की हैं, जिनकी इच्छा थी कि ये गंगा नदी में ही प्रवाहित की जाएं। भारत आने वाले समूह में कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत रामनाथ मिश्रा भी हैं, जो इस कार्य के लिए चुने जाने पर खुद को धन्य और सौभाग्यशाली मानते हैं। बता दें कि यह तीसरी बार है जब विभाजन के बाद पाकिस्तान से हिंदुओं की अस्थियां भारत लाई गई हैं, पहले २०११ और २०१६ में भी ऐसा हुआ था। २२ फरवरी को इन अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार के कनखल स्थित सीता घाट पर किया जाएगा, साथ ही १०० किलो दूध की आहुति भी दी जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, इस समूह को महाकुंभ के वक्त अस्थियां लेकर भारत आने का वीजा मिला। इनके पास अभी लखनऊ और हरिद्वार जाने का वीजा है, लेकिन इन्हें प्रयागराज जाने की अनुमति मिलने का भी इंतजार है। इसे पाकर वह न केवल लखनऊ और हरिद्वार घूमेंगे बल्कि प्रयागराज जाकर संगम में डुबकी भी लगाएंगे। बता दें कि पाकिस्तान में लोग आर्थिक मजबूरी और अन्य वजहों के कारण अपने परिजनों की अस्थियां खुद भारत लाने में सक्षम नहीं होते। ऐसे में उन्हें इंतजार रहता है कि कोई ऐसा मिले तो इस काम में उनकी मदद कर दे।