उसकी मोहब्बत
तेज बारिश-सी
और मैं…
शहरों की सड़कों-सा
डूबता ही रहा।
उसकी मोहब्बत
कुटिल राजनीति-सी
और मैं…
भोली जनता-सा
लुटता ही रहा।
उसकी मोहब्बत
गंगा नदी-सी,
और मैं…
कूड़ा करकट
समाता ही रहा।
उसकी मोहब्बत
प्रगति-सी
और मैं…
पेड़ों-सा
कटता ही रहा।
उसकी मोहब्बत
महंगाई-सी
और मैं…
गरीब का बजट
सिकुड़ता ही रहा।
उसकी मोहब्बत
आधुनिकता-सी,
और मैं…
संस्कारों-सा
मरता ही रहा।
-आनंद शर्मा