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‘गृह’ युद्ध! … मुख्यमंत्री पद का कांटा बना हुआ है गृह मंत्रालय

– भाजपा और शिंदे गुट की सिर फुटव्वल जारी
रामदिनेश यादव / मुंबई
दुनिया में कई जगहों खासकर मध्य पूर्व के देशों में सत्ता के लिए गृह युद्ध की खबरें आती रहती हैं, जिसमें हजारों लोगों की जानें जाती रहती हैं। महाराष्ट्र में भी इन दिनों एक ‘गृह’ युद्ध जारी है। हालांकि, यहां कोई खूनी विद्रोह की स्थिति नहीं, बल्कि चुनाव में महायुति की जीत के बाद एक राजनीतिक जोर-आजमाइश चल रही है, जिसके केंद्र में गृह मंत्रालय है। इस वजह से मुख्यमंत्री पद का कांटा बना हुआ है गृह मंत्रालय और इसे लेकर भाजपा व शिंदे गुट में सिर फुटव्वल जारी है। नई सरकार में शिंदे गृह मंत्रालय लेने पर अड़े हुए हैं, जबकि फडणवीस इसे किसी भी सूरत में शिंदे को देने के लिए तैयार नहीं हैं। भले ही शपथग्रहण की तारीख तय हो गई है, पर इस ‘गृह’ युद्ध के कारण ही अभी तक नई सरकार की रूपरेखा नहीं बन पा रही है।

शिंदे को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के भी लाले!

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग महत्वपूर्ण है, जो फडणवीस का पसंदीदा विभाग है। उसके जरिए राज्य के तमाम विभागों में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने खास आदमी को उसका मुखिया बना रखा है।

महाराष्ट्र में सत्ता गठन को लेकर महायुति की ओर से नियम के बाहर जाकर जोरदार तैयारियां चल रही हैं। शपथ ग्रहण समारोह ५ दिसंबर की शाम ५ बजे आजाद मैदान में किए जाने की घोषणा कर दी गई है। महायुति सरकार की शपथ विधि का कार्यक्रम नजदीक आ रहा है, लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बीमारी ठीक होने का नाम नहीं ले रही है। नई सरकार में मुख्यमंत्री पद हाथ से जाने के बाद से बीमार हुए शिंदे अब तक ठीक नहीं हुए हैं। उनकी बात अब गृहमंत्री पद पर रुकी है, लेकिन भाजपा के सामने लाचार हो चुके शिंदे को अब गृहमंत्री पद भी नहीं मिलने का आभास हो गया है। ऐसे में वे अब सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मांग रहे हैं। उनकी आस अब इस विभाग पर अटकी है। सूत्रों की मानें तो यह विभाग भी भाजपा उन्हें देने के मूड में नहीं है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, शिंदे की बीमारी नहीं यह सत्ता की लाचारी है, उनकी मांगें पूरी नहीं होने से उनकी तबीयत पर असर पड़ रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री पद भाजपा के पास जाने से शिंदे गुट खफा है, लेकिन उसकी लाचारी है कि वह भाजपा से अलग नहीं हो सकता है। इसीलिए जब शिंदे को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद देने से इनकार किया तो वे निराश होकर अपने गांव सातारा के दरेगांव चले गए, लेकिन वहां से भी वे गृहमंत्री पद के लिए गुहार लगाते रहे। यह नहीं मिलने से उन्हें तेज बुखार हो गया, उनकी तबीयत बिगड़ गई। नाराज शिंदे को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन फडणवीस के फोन के बाद वे अपने पैतृक गांव से लौट तो आए, पर ठाणे में फिर से बीमार होने की खबर आ रही है। सूत्रों की मानें तो उन्होंने कल सोमवार को अपनी सभी बैठकें लगभग रद्द कर दीं और किसी से मुलाकात नहीं की।
बीमारी है या लाचारी?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह शिंदे की बीमारी है या उनकी लाचारी, जो भाजपा के सामने इतने बेबस नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद गृहमंत्री पद मांगा, वह भी नहीं मिलेगा, वित्त मंत्रालय अजीत पवार के पास जाएगा, ऐसे में शिंदे के खाते में शहरी विकास और सार्वजनिक बांधकाम विभाग ही आएगा, लेकिन सरकार में मजबूत पकड़ वाला कोई विभाग उनके पास नहीं होगा। ऐसे में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग महत्वपूर्ण है, जो फडणवीस का पसंदीदा विभाग है। उसके जरिए राज्य के तमाम विभागों में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।

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