सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी ३२ मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अडानी व देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज एक ही व्यक्ति को देश के संसाधन दिए जा रहे हैं। प्रियंका गांधी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा और पूछा कि वे अतीत को कब तक कोसते रहेंगे।
प्रियंका गांधी ने कहा कि हजारों साल पुरानी हमारे देश की, धर्म की एक पुरानी परंपरा रही है, ये परंपरा संवाद, चर्चा की रही है। एक गौरवशाली परंपरा है, जो दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में रही है। अलग-अलग धर्मों में इस्लाम, जैन, सिख धर्म में भी बहस और चर्चा की संस्कृति रही है। इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम उभरा। यह विश्व में अनोखी लड़ाई थी, जो सत्य और अहिंसा पर आधारित थी। हमारी आजादी की लड़ाई लोकतांत्रिक थी, जिसमें हर वर्ग, हर जाति धर्म के लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और आजादी की लड़ाई लड़ी। उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, वो ही आवाज हमारा देश का संविधान है। प्रियंका गांधी ने कहा कि ये सिर्फ दस्तावेज नहीं है। इस संविधान के निर्माण में कई नेता वर्षों तक जुटे रहे। इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है।
उन्होंने कहा कि उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सबके बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान ने दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण वाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया और उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।