राजन पारकर / मुंबई
महायुति सरकार ने अपने बजट में चमकदार विकास योजनाओं के हवाई किले बनाते हुए लंबी लिस्ट पेश तो की, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या ये हकीकत में भी उतनी ही ठोस हैं, जितनी कागजों पर दिख रही हैं? ग्रोथ हब, इनोवेशन सिटी, तीसरा एयरपोर्ट, मेट्रो नेटवर्क सुनने में भले ही शानदार लगें, लेकिन क्या बजट में इन वादों को पूरा करने की ठोस नींव रखी गई है?
‘ग्रोथ हब’ या ‘घोषणा हब’
सरकार ने मुंबई को अंतर्राष्ट्रीय ग्रोथ हब बनाने का सपना दिखाया है। बांद्रा-कुर्ला, वडाला, नई मुंबई, विरार-बोईसर जैसे इलाकों में वर्ल्ड-क्लास व्यापार केंद्र बनाए जाएंगे और अर्थव्यवस्था को २०३० तक ३०० बिलियन डॉलर तथा २०४७ तक १.५ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का दावा किया जा रहा है।
मगर सवाल यह है-
– इतने बड़े लक्ष्य के लिए बजट में कितनी ठोस राशि आवंटित की गई?
– क्या इससे पहले घोषित परियोजनाएं पूरी हुर्इं, या ये भी उन्हीं वादों की कतार में शामिल हैं?
इनोवेशन सिटी : सपना या झांसा?
सरकार का दावा है कि २५० एकड़ में इनोवेशन सिटी बनेगी और १०,००० महिलाओं को माइक्रोसॉफ्ट के जरिए एआई में प्रशिक्षित किया जाएगा। लेकिन…
– नई मुंबई में इससे पहले कितनी योजनाएं बनीं और कितनी अधूरी रहीं?
– बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के कितने मौके वास्तव में सृजित किए गए?
– आईटी और स्टार्टअप को महाराष्ट्र से पलायन करने से रोकने के लिए क्या ठोस नीति बनाई गई?
तीसरा एयरपोर्ट : हवा में उड़ते वादे!
वाढवण बंदरगाह और तीसरे एयरपोर्ट की घोषणा तो कर दी गई, मगर…
– मुंबई का दूसरा एयरपोर्ट अभी तक पूरी तरह चालू भी नहीं हुआ, तो तीसरे एयरपोर्ट का क्या होगा?
– अमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन की योजना पहले से विवादों में है, तो इस नए कनेक्शन की फंडिंग कहां से आएगी?
– क्या इस परियोजना से आम लोगों को फायदा होगा, या सिर्फ बड़े उद्योगपतियों की सहूलियत के लिए इसे बनाया जा रहा है?