ऑपरेशन थिएटर सील कर जांच शुरू
सामना संवाददाता / भोपाल
लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में माहौल गरमाया हुआ है। सभी राज्यों के आला अधिकारी हों या निचले स्तर के कर्मचारी, सभी चुनाव कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन चुनावी कार्यक्रम के आगे अपना काम भूल जाना या फिर अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह हो जाना, कहां तक उचित है? ऐसा ही एक मामला एमपी से सामने आया है, जो काफी हैरान कर देने वाला है। बताया जाता है कि पिछले महीने इंदौर के एक अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद ८ मरीजों की दृष्टि प्रभावित हुई, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने ऑपरेशन थियेटर को सील कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
तीन सदस्यीय समिति करेगी जांच
डिस्ट्रिक्ट ब्लाइंडनेस कंट्रोल सोसाइटी के प्रबंधक डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसने मरीजों को होने वाले दुष्प्रभावों के कारणों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत २० मार्च को मध्य प्रदेश के चोइथराम नेत्रालय में सरकारी खर्च पर ७९ मरीजों की मोतियाबिंद सर्जरी की गई थी।
मरीजों को सर्जरी के बाद हुई परेशानी
सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन के दूसरे दिन चार मरीजों को कुछ संक्रमण और आंखों की रोशनी कम होने की शिकायत आई। जांच के बाद प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। ५० से ८५ वर्ष की आयु के मरीजों को सर्जरी के अगले दिन सूजन, जलन और आंखों की रोशनी कम होने की समस्या होने लगी। प्रभावित अधिकांश मरीज इंदौर, उज्जैन और धार जिलों के हैं।
अस्पताल प्रबंधन का लापरवाही से इनकार
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि अभी यह कहना मुश्किल है कि इन मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है या नहीं, जांच के बाद चीजें स्पष्ट होंगी। हालांकि, अस्पताल के एक ट्रस्टी ने कहा कि कोई लापरवाही नहीं हुई और दावा किया कि अज्ञात कारणों से आठ मरीजों की आंखों में ‘रिएक्शन’ हुआ और उन सभी को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।