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सरकार देगी प्रोत्साहन तो कैसे स्लम मुक्त होगी मुंबई?  हाई कोर्ट ने किया सवाल

 नहीं बेचे जाने चाहिए एसआरए मकान

सामना संवाददाता / मुंबई
एसआरए परियोजनाओं में घरों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सरकार ने एसआरए मकानों की बिक्री पर प्रतिबंध की अवधि को दस साल से घटाकर पांच साल कैसे कर दिया? अगर सरकार इसी तरह घरों की बिक्री को प्रोत्साहित करती रही तो मुंबई स्लम मुक्त कैसे होगी? यह सवाल हाई कोर्ट ने कल सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है। कोर्ट के इस कड़े रुख से एसआरए के मकानों की बिक्री पर रोक लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बता दें कि मालवणी इलाके की शक्ति कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के ७२ सदस्यों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनकी याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की मांग से असहमति जताते हुए सरकार के १९ जनवरी के नए अध्यादेश पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। याचिकाकर्ताओं में मूल झुग्गी-झोपड़ी धारक, एसआरए भवनों में घर खरीदने के १० साल पूरे कर चुके परिवार और १० साल के भीतर घर खरीदने वाले परिवार शामिल हैं। एसआरए भवनों में मकान बेचते समय एसआरए प्राधिकरण से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। इस पृष्ठभूमि पर प्राधिकरण ने उन्हें नोटिस जारी किया है। उस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि एसआरए अधिनियम की धारा ३ अमान्य है।
एसआरए अधिनियम का प्रावधान
एसआरए अधिनियम की धारा के प्रावधानों के अनुसार, एक निवासी जिसने झुग्गी पुनर्वास योजना के तहत मकान खरीदा है, वह घर पर कब्जा करने के बाद दस साल के भीतर घर नहीं बेच सकता है। लेकिन सरकार ने १९ जनवरी को नया जीआर जारी किया और मकान न बेचने की अवधि १० साल से घटाकर ५ साल कर दी।

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