सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र सरकार वर्ष २०२५ तक पूरे देश से टीबी उन्मूलन का टार्गेट रखने का डंका बजा रही है। इसके बावजूद मुंबई मनपा का स्वास्थ्य विभाग इस कार्यक्रम को कछुए की चाल से चला रही है। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि मुंबई से टीबी रोग का वैâसे खात्मा होगा। हालांकि, मनपा ने कल से बीसीजी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया और पहले दिन १,९९० लोगों को टीका लगाया। इसके तीन साल बाद इसका मूल्यांकन किया जाएगा कि बच्चों को दिया जानेवाला यह टीका वयस्कों में बीमारी की सुरक्षा कर पाता है। इसके साथ ही टीबी रोगियों का पता लगाने के लिए नेक्स्ट जनरेशन स्किन टेस्ट किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मनपा बीसीजी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने जा रही है, जिसमें शहर के १२ उच्च जोखिम वाले टीबी वॉर्डों में रहने वाले ३०,००० से ४०,००० मुंबईकरों को टीका दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, बीसीजी टीकाकरण के मामले में मनपा के सामुदायिक कार्यकर्ताओं ने १२ वॉर्डों में संवेदनशील लोगों, पूर्व रोगियों, मधुमेह रोगियों, धूम्रपान करने वालों, प्रतिरक्षाविहीन रोगियों और वरिष्ठ नागरिकों की एक सूची तैयार की थी। ऐसे में अब उन्हें मनपा के टीबी अधिकारियों के पास आने के लिए कहा जाएगा। इसके साथ ही सीवाई-टीबी परीक्षण करने पर मिलने वाले नए रोगियों के रिश्तेदारों और करीबी संपर्कों को लेटेंट टीबी के परीक्षण से गुजरने के लिए कहा जाएगा। व्यक्ति को ४८ घंटे के बाद केंद्र में वापस रिपोर्ट करना होगा, ताकि मनपा टीम यह आकलन कर सके कि उसे लेटेंट टीबी है या नहीं। मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह का कहना है कि सीवाई टीबी टेस्ट इस सप्ताह से शुरू हो जाएगा।
स्वैच्छिक है परीक्षण
मनपा के एक चिकित्सक ने कहा कि दोनों ही स्वैच्छिक टेस्ट हैं। यह टेस्ट करवाने के लिए हम लोगों को बाध्य नहीं कर सकते, लेकिन इससे टीबी के समग्र उन्मूलन में भी मदद मिलेगी। साल २०२३ में मुंबई में ६३,६४४ नए टीबी मामले दर्ज किए गए। इनमें से करीब १० फीसदी मामले रोग के दवा-प्रतिरोधी रूप हैं, जिनका इलाज करना मुश्किल है।