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कैसे सुधरेगा मनपा का हाल!… नए आयुक्त के सामने आर्थिक संकट बना बड़ा चैलेंज

-ठेकेदारों का बकाया १,२०० …मनपा की तिजोरी में मात्र `१० करोड़

सामना संवाददाता / ठाणे

ठाणे महानगर पालिका के नवनियुक्त आयुक्त सौरभ राव के सामने मनपा को आर्थिक संकट से उबारने का बड़ा चैलेंज है, क्योंकि इस समय ठाणे मनपा का खजाना एक बार फिर खस्ताहाल स्थिति में है। मनपा के अधिकारी-कर्मचारी चुनाव कार्य में लगे हैं, इससे आय पर असर पड़ा है। जिसके कारण मनपा की वसूली भी सही तरीके से नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि मनपा की तिजोरी में मात्र १० करोड़ रुपए ही बचे हैं, जबकि ठेकेदारों का पुराना बकाया १,२०० करोड़ रुपए है। साथ ही इस वर्ष के भी ठेकेदारों के १७ करोड़ रुपए के बिल बकाया है, जिसका भुगतान करना है।
बता दें कि पिछले माह भी महानगरपालिका में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी। फरवरी माह का वेतन देने के लिए आर्थिक संकट का सामना मनपा प्रशासन को करना पड़ा था, जिसे संज्ञान में लेते हुए फरवरी महीने में तत्कालीन आयुक्त अभिजीत बांगर ने अन्य मदों के लिए रखे गए आरक्षित फंड में से कर्मचारियों का वेतन अदा किया था, लेकिन फिर मार्च खत्म होने को है और फिर फरवरी जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका मनपा के वित्त विभाग ने जताई है।
मनपा ने इस साल मार्च २०२४ के अंत तक ठेकेदारों के बिलों का भुगतान करने का निर्णय लिया था। ये बिल करीब ८६ करोड़ रुपए के थे। तदनुसार, एक सूची तैयार की गई और बजट को संशोधित किया गया और ८६ करोड़ का प्रावधान किया गया। इसके बाद २० मार्च तक मनपा ने करीब ५५ से ६५ करोड़ के बिल का भुगतान किया है, लेकिन महानगर पालिका के सामने यह संकट खड़ा हो गया है कि करीब १७ करोड़ के बकाया बिल का भुगतान वैâसे किया जाए। बाकी बिल लोक निर्माण विभाग में जमा करा दिए गए हैं। पालिका के खजाने में फिलहाल कोई फंड नहीं है। मनपा सूत्रों की मानें तो दो दिन पहले खजाने में २२ करोड़ रुपए थे और गुरुवार को यह रकम १० करोड़ रुपए रह गई है, जिसके कारण ठेकेदारों के बिल का भुगतान करना संभव नहीं है।
वेतन के लिए ११७ करोड़ रुपए की जरूरत
ठाणे मनपा प्रशासन जनवरी महीने से पहले अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए करीब ७५ से ८० करोड़ रुपए खर्च करता था, लेकिन अब ७वां वेतन आयोग लागू होने के बाद प्रति माह ११७ करोड़ रुपए की जरूरत पड़ने लगी है। मनपा वित्त व लेखा विभाग का कहना है कि यह लागत सरकार की ओर से जीएसटी सब्सिडी के माध्यम से पूरी की जाती है। मनपा को इस महीने १११ करोड़ रुपए जीएसटी आदि से आने की उम्मीद है, लेकिन इसके बावजूद मनपा के पास जो फंड आ रहा है वह फंड भी वेतन देने में कम पड़ रहा है। हालांकि, इस संदर्भ में मनपा के वित्त व लेखा विभाग अधिकारी दिलीप सूर्यवंशी ने कहा कि मनपा की तरफ से कर्मचारियों के वेतन को लेकर गंभीर है और इसका नियोजन किया जाएगा।

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