– रु.५,००० करोड़ का प्रोजेक्ट १३ साल से अटका
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई जैसे महानगर में तीन साल से लगातार गर्मियों में पानी की कटौती हो रही है, लेकिन मुंबई मनपा की लापरवाही का आलम यह है कि २०१४ के बाद से एक भी नया जल आपूर्ति प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा है। रिपोर्ट के अनुसार, पालघर जिले के वाडा तहसील में प्रस्तावित गारगाई बांध परियोजना, जिसकी लागत लगभग ५,००० करोड़ रुपए है और जिससे ४४० मिलियन लीटर प्रतिदिन अतिरिक्त पानी मिल सकता है, अब भी फाइलों और बैठकों तक ही सीमित है।
गारगाई परियोजना की बात पहली बार २०१२ में उठी थी, लेकिन मनपा ने २०१८ में इसकी तैयारी शुरू की। सात साल बाद भी न पर्यावरणीय मंजूरी मिली है, न ही जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा हुआ है। ४२६ हेक्टेयर जमीन और ६१९ परिवारों का विस्थापन, परियोजना की मुख्य बाधाएं बनी हुई हैं। वहीं मुंबई को ४,५५० एमएलडी पानी की जरूरत है, उसे सिर्फ ३,९५० एमएलडी ही मिल रहा है। इसके बावजूद मनपा का रवैया बेहद सुस्त है। मनपा का डीसैलीनेशन प्रोजेक्ट भी असफलता की कहानी बन गया है। २०० एमएलडी क्षमता का यह समुद्री जल शुद्धिकरण संयंत्र योजना में था, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में ठोस जवाब न मिलने के कारण वह भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब नए कंसल्टेंसी फर्म से फिर सर्वे कराया जाएगा।
मौजूदा स्रोतों पर निर्भर
सवाल ये है कि जब २०१४ में मिडल वैतरणा प्रोजेक्ट पूरा हुआ था, तब गारगाई पर तत्परता क्यों नहीं दिखाई गई? मुंबई में रिडेवलपमेंट और बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन मनपा अब भी मौजूदा स्रोतों पर निर्भर है।
मनपा की अक्षमता उजागर
स्पष्ट है कि प्रशासन की सुस्ती और योजनाओं की धीमी गति ने मुंबई को हर गर्मी में प्यासा बना दिया है। यह स्थिति न सिर्फ मनपा की अक्षमता को उजागर करती है, बल्कि भविष्य की गंभीर जल संकट की चेतावनी भी देती है।