अदालत ने इसे माना महिला सम्मान में अदावत
राजन पारकर / मुंबई
हम भले ही २१वीं सदी में पहुंच गए हैं, मगर अभी भी समाज का माहौल पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुआ है। खासकर किसी भी महिला की सुंदरता की तारीफ करने से पहले १०० बार सोचना जरूरी है। कहने का मतलब है कि ‘क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो’ जैसे गाने सिर्फ फिल्मों में ही अच्छे लगते हैं। रियल लाइफ में ऐसे गीतों के मुखड़े गानेवालों के लिए दुखड़े बन सकते हैं। दरअसल, इस तरह का एक मामला अदालत में पहुंच चुका है। अदालत ने इसे महिला सम्मान के लिए अदावत अर्थात शत्रुता रखनेवाला माना है। हाल ही में इस मामले में दिंडोशी कोर्ट की टिप्पणी आंखें खोलनेवाली है। ऐसे में किसी भी महिला के प्रति सोशल मीडिया पर तारीफ करना भी भारी पड़ सकता है। बता दें कि यौन उत्पीड़न मामले में छेड़छाड़ का दोषी पाए जाने पर बीएनएस के तहत १ साल से लेकर ५ साल व धारा ७५ के तहत गैर-जमानती सजा हो सकती है।
किसी अपरिचित महिला को
‘तुम सुंदर हो’ संदेश
माना जाएगा यौन उत्पीड़न!
अदालत की सख्त टिप्पणी
पहले लोग प्रेम का इजहार प्रेम पत्र भेजकर करते थे। आज जमाना व्हॉट्सऐप का है। एक शख्स को व्हॉट्सऐप पर एक महिला की सुंदरता की तारीफ करना भारी पड़ गई। महिला को यह बात इतनी बुरी लगी कि उसने उक्त शख्स के खिलाफ केस कर दिया। हाल ही में दिंडोशी सत्र न्यायालय में यह मामला सामने आया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि किसी अपरिचित महिला को ‘तुम बहुत सुंदर दिखती हो’ संदेश भेजना यौन उत्पीड़न माना जाएगा।
ये था मामला
मिली जानकारी के अनुसार, महिला को एक पुरुष लगातार व्हॉट्सऐप पर संदेश भेजता था। रात ११ से १२.३० बजे के बीच वह महिला को विभिन्न फोटो और संदेश भेजता था। कुछ संदेश ऐसे थे, ‘तू पतली है, बहुत होशियार है, दिखने में भी गोरी है। मैं ४० साल का हूं, क्या तेरा शादी हो चुका है?’ ऐसे संदेश वह लगातार महिला को भेजता था। कई बार उसने ‘मुझे तू मुझे पसंद है’ ऐसा भी संदेश भेजा था।
तीन महीने की हुई थी सजा
इस मामले में महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में कोर्ट ने २०२२ में आरोपी को दोषी ठहराया था। उसे तीन महीने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद उसने दिंडोशी सत्र न्यायालय में अपील की थी। इस दौरान आरोपी ने कोर्ट में अपनी दलील दी। उसने कहा कि राजनीतिक द्वेष के कारण उसे इस मामले में फंसाया जा रहा है, लेकिन न्यायालय ने किसी ठोस सबूत के अभाव में आरोपी की दलील खारिज कर दी।
कोई झूठे मामले में नहीं फंसा सकता
न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी महिला इस तरह से आरोपी को झूठे मामले में फंसा कर अपनी प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगाएगी। अपरिचित महिला को ऐसा संदेश भेजना यौन उत्पीड़न है। ये संदेश महिला की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।