– २४,००० नई बसों की जरूरत
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई और इसके मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर) में सार्वजनिक परिवहन के लिए बसों की भारी कमी है। इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (आइटीडीपी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एमएमआर को १५,६०० बसों की जरूरत है। मार्च २०२२ तक यहां केवल ४,६८८ बसें उपलब्ध थीं। इनमें से ३,३८० बसें बेस्ट की थीं, जो अब घटकर लगभग २,८७८ रह गई हैं। बसों की कमी पूरा करने के लिए लीज पर पांच हजार बसों को लेने विचार सरकार कर रही है।
महाराष्ट्र के बाकी शहरों की स्थिति
आईटीडीपी की रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र के ४४ शहरों में से ३० में कोई औपचारिक बस सेवा नहीं है। बाकी १४ शहरों में बस सेवाएं बेहद कम हैं। राज्य में कम से कम २४,००० नई बसों की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन बसों से ट्रैफिक में कमी आने के साथ-साथ पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। आईटीडीपी इंडिया की प्रोग्राम मैनेजर वैशाली सिंह के अनुसार, अगर ये २४,००० बसें उपलब्ध हो जाएं, तो हर दिन १९ लाख कारों और ३० लाख दोपहिया वाहनों के ट्रिप्स कम हो सकते हैं। इससे ट्रैफिक का दबाव घटेगा और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हर साल करीब ३०,००० टन की कमी होगी। यह १० साल तक ४,९६,०५३ पेड़ लगाने के बराबर होगा।
बेस्ट बस सेवा की चुनौतियां
बेस्ट की बस सेवाएं भी कई परेशानियों का सामना कर रही हैं। हाल ही में, काला किला डिपो (धारावी) से चलने वाली ६० बसों के ड्राइवरों ने सैलरी देरी से मिलने के कारण अचानक काम बंद कर दिया। इसी हफ्ते की शुरुआत में २१० ड्राइवरों ने पांच घंटे तक काम रोका था। बेस्ट अधिकारियों के मुताबिक, वेट लीज ऑपरेटर्स की हड़ताल के कारण सेवाओं पर असर पड़ा। हालांकि, उनकी टीम ने बसों को संभालने की कोशिश की।
विशेषज्ञों की राय
परिवहन विशेषज्ञ सुधीर बदामी का कहना है कि मेट्रो रेल प्रोजेक्ट्स के शुरू होने के बाद भी एमएमआर में सार्वजनिक परिवहन की मांग पूरी नहीं हो पाएगी। उन्होंने सरकार से बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) जैसे विकल्पों पर जोर देने को कहा। यह स्पष्ट है कि मुंबई और महाराष्ट्र को अपनी बस सेवाओं में सुधार करने की जरूरत है। नई बसों की उपलब्धता से न केवल ट्रैफिक जाम कम होगा, बल्कि पर्यावरण भी बेहतर होगा। यह समय है कि राज्य सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपनी प्राथमिकता बनाए।