टीवी हो या फिल्म या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म गौतमी कपूर ने अपने अभिनय और लुक्स से खासी लोकप्रियता अर्जित की है। बच्चों की परवरिश के लिए ब्रेक लेनेवाली गौतमी एक बार फिर अभिनय में सक्रिय हो गई हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म जी फाइव के वेब शो ‘ग्यारह ग्यारह’ में एक सशक्त किरदार में गौतमी नजर आ रही हैं। पेश है, गौतमी कपूर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
शो ‘ग्यारह ग्यारह’ स्वीकारने की क्या वजह रही?
सच तो यह है कि शो में मेरा किरदार लंबा-चौड़ा नहीं, लेकिन जितना भी है वो बड़ा पॉवरफुल है। शायद ही किसी ने इस तरह की सस्पेंस कहानी आज तक देखी और सुनी होगी। बच्चों की वजह से ब्रेक लेने के बाद जब मुझे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस शो का ऑफर मिला तो कहानी और किरदार पसंद आते ही मैंने इसे स्वीकार कर लिया।
सुना है, इस शो का नाम पहले कुछ और था?
इस शो का नाम पहले ‘सिग्नल’ था, जिसे बाद में बदलकर ‘ग्यारह ग्यारह’ कर दिया गया। एक कोरियन ड्रामे का यह अडॉप्टेशन है।
अपने किरदार के बारे में कुछ बताएंगी?
मैं शो में एक मां का किरदार निभा रही हूं जिसकी बेटी खो गई है। १५ वर्ष पहले मेले में खोई हुई अपनी बेटी की तलाश करनेवाली मां को पूरी उम्मीद है कि उसे उसकी बेटी जरूर मिलेगी। शो की शुरुआत मुझसे होती है, एक परेशान मां और दिल दहला देनेवाली उसकी शिकायत। खोए हुए बच्चे खासकर बेटियां वापस नहीं मिलती। मैंने निर्देशक से ओरिजिनल ड्रामा ‘सिग्नल’ देखने की बात की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मैंने उनकी बात मान ली।
ब्रेक के बाद पुनर्वापसी कितनी आसान रही?
राम कपूर और मेरी शादी २००३ में हुई। बेटी सिया और बेटे अक्स की मां बनने के बाद मैं बच्चों में और राम शूटिंग में बिजी होते गए। मैं नहीं चाहती थी कि बच्चों की परवरिश का जिम्मा हम नौकरों के भरोसे छोड़ दें। फिल्म की शूटिंग हो या टीवी की शूटिंग कुल मिलाकर ८-१० घंटे लग ही जाते हैं। इतने वक्त बच्चों को अकेले छोड़कर जाना मुनासिब नहीं था इसलिए मैंने अपना करियर बैक सीट पर रखा। बच्चे जब बड़े हो गए तब मैंने एक्टिंग में लौटना चाहा। अब महिला कलाकार भी ‘ब्रेक’ के बाद दोबारा लौट रही हैं। रवीना टंडन, शेफाली शाह, नीना गुप्ता अपनी सेकंड इनिंग में बेहद अच्छा काम कर रही हैं।
क्या कभी कुंठा या निराशा ने आपको नहीं घेरा?
फुल टाइम मां के दायित्व को निभाना मेरा अपना निर्णय था। अगर मुझे एक्टिंग का ऑफर मिलना बंद हो जाता और मैं घर पर बैठ जाती तो हो सकता है निराशा और कुंठा को फील करती। मैंने अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन दोनों को बैलेंस किया। यह भावना बड़ी सुखद है। बच्चों को अच्छी परवरिश देना यह अनुभूति मुझे पूर्णता देती है।