पंकज तिवारी
शांतिप्रज्ञा चैनल की प्रोड्यूसर आरती झा का कहना है कि जब भी संकट के बादल छाए, मन भीषण समस्या से गुजर रहा हो, दिमाग काम न कर रहा हो, आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता न सूझ रहा हो, ऐसे समय में महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ करें या सुनें, सब कुछ ठीक हो जाएगा। खराब से खराब परिस्थिति से भी उबर जाने में आप सक्षम होंगे। मन मजबूत हो आपके साथ खड़ा हो जाएगा। हम सभी की संबल हैं मेरी मां। मैं भी जब समस्या में होती हूं तो इस स्तोत्र को जरूर सुनती हूं। शांतिप्रज्ञा चैनल पर महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र को लाने का कारण भी यही है कि लोग सुनें और विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को उबारते हुए आगे बढ़ें। वैसे इस स्तोत्र को आवाज देनेवाले बहुत से लोग हैं, लेकिन शांतिप्रज्ञा चैनल के फाउंडर देवव्रत झा की आवाज ने कमाल कर दिया है। लोगों से पूरे नवरात्र भर और हमेशा इसे सुनने के लिए मैं आग्रह करती हूं। देवव्रत झा बिल्कुल ही शांत संगीत के साथ दिल की गहराई तक उतर जानेवाले सुर में गाते हैं। अभी होली में उनका गाया गीत ‘श्याम रंग दियो अंग गोऽर मोऽर’ बहुत ही व्यापक स्तर पर लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हुआ है। होली के नाम पर एक तरफ जहां फूहड़ता का बोलबाला है, वहीं यह गीत आध्यात्म की पराकाष्ठा तक का सफर करा पाने में सफल हुआ है। गीतकार पंकज तिवारी ने मात्र दस पंक्तियों में जीवन का पूरा सार निचोड़ कर रख दिया है। देवव्रत जी की आवाज में गजब की खनक है। दुनिया के सभी रंगों से तो हम बच सकते हैं या रंग छुड़ा सकते हैं, पर भगवान श्री कृष्ण जिसको अपने रंग में रंग लेंगे उससे कैसे बचा जा सकता है, कैसे छुड़ाया जा सकता है उनके रंग को। गीत लोगों के दिलों में उतरकर झूमने पर मजबूर कर देता है। प्रोड्यूसर आरती झा, प्रभु श्री कृष्ण के रूप में कलाकार आयुधन सहित सभी लोगों ने बहुत ही बढ़िया सहयोग किया है। गायक देवव्रत झा से चैनल शांतिप्रज्ञा के बाबत बात करने पर उनका कहना है कि मेरी मां शांति देवी जो नाम के अनुरूप बिल्कुल ही शांत स्वभाव वाली महिला थीं, को पिताजी बहुत मानते थे। दोनों में अनहद प्रेम था। पिताजी की जिंदगी थीं मां, पर एक दुर्घटना ने मां को हमसे छीन लिया। हम सभी तड़प कर रह गए। पिताजी को बहुत बड़ा सदमा लगा था, जैसे एकांतवास में चले गए हों। उनको वहां से वापस लाने के लिए तमाम प्रयास किया गया, पर वह वापस नहीं आ पा रहे थे, उन्हीं प्रयासों में एक प्रयास यह चैनल भी था। बाबू सूर्यकांत झा इसके चीफ एडिटर हैं। शांतिप्रज्ञा चैनल पर सबसे पहले वर्ल्ड डिज्नी के ऊपर हमने इंस्पायरिंग स्टोरी बनाई। उसके बाद बाबूजी ने अब्राहम लिंकन के जीवन पर एक स्टोरी बनाई, जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देनेवाली रही। वहां से हमारे सफर की शुरुआत हुई और हम लोग आगे बढ़ते चले गए। लिखने के प्रति बाबूजी का जज्बा बढ़ता गया और धीरे-धीरे हम सभी उस संकट से उबर पाए हैं। मां को भूल पाना बाबूजी के लिए इतना आसान तो नहीं था, पर धीरे-धीरे अपनी लेखनी में वो व्यस्त रहने लगे। उनकी आवाज भी बहुत अच्छी है। उनकी आवाज में बहुत सारी कहानियां भी इस चैनल पर हैं। समय के साथ चीजें चलती रहीं, फिर प्रभु श्री राम के मंदिर का जब अनावरण होने जा रहा था, उस समय हमने अपने चैनल पर पहला गाना ‘सनातनी हैं हम’ लॉन्च किया। उसके बाद फिर लगातार गीत आते रहे, जो बिल्कुल ही शांत संगीत वाले रहे। ‘ॐ नम: शिवाय’ गीत भी खूब चला। ‘सनातनी हैं हम’, ‘ॐ नम: शिवाय’ सहित कई गीत शांतिप्रज्ञा पर आशुतोष कुमार झा ने गाए हैं। आशुतोष भी बहुत ही सुंदर आवाज के धनी हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम समाज को चैनल के माध्यम से अच्छी चीज दे पाएं। धर्म, आध्यात्म, परिवार के प्रति लोगों को अच्छी चीज दिखा पाएं। ऐज ए फाउंडर मेरा हमेशा से यही मानना रहा है कि चैनल के माध्यम से लोगों में खुशियां दिखा सकूं, मानवता जिंदा रख सकूं। श्याम रंग गीत के बारे में पूछे जाने पर देवव्रत बताते हैं कि यह गाना जिसे पंकज ने लिखा है, बेहद ही दिल के करीब होनेवाला गाना है, जिसे हर अवसर पर गाया जा सकता है। जो लोगों के दिलों में बस गया है। होली के अवसर पर जहां-जहां भी यह गाना बजा, लोगों ने खूब इंज्वॉय किया। लोगों ने मुझे फोन किया इन सभी चीजों को देखकर ऐसा लगता है कि हम लोगों के प्रयास सफल हुए। पंकज द्वारा लिखित, आरती झा द्वारा प्रोड्यूस्ड, मेरे द्वारा गाया यह गीत लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया मैं खुद को धन्य मानता हूं। यह गाना पिछले १० दिनों में लगभग सभी प्लेटफॉर्मों पर एक मिलियन लोगों ने देखा और इसे पसंद किया। मुझे विनय कपूर का म्यूजिक भी बहुत पसंद है। इस गीत को अमेजॉन, स्पॉटिफाई सहित सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शांति प्रज्ञा सर्च कर सुना जा सकता है।