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मैंने डैड से कोई उम्मीद नहीं रखी! -जेमी लीवर

जाने-माने कॉमेडियन की बेटी जेमी लीवर अपने पिता की तरह ही कॉमेडी के क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। ‘कॉमेडी सर्कस’ के अलावा ‘पॉपकॉर्न’ जैसे वेब शोज और कपिल शर्मा अभिनीत फिल्म ‘किस किस को प्यार करूं’ में एक अहम किरदार निभाने वाली जेमी की फिल्म ‘२०५० केयर विथ लव’ इस महीने के अंत में रिलीज होने जा रही है। पेश हैं, जेमी लीवर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 फिल्म ‘केयर विथ लव’ स्वीकारने की क्या वजह रही?
एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में काम करते हुए १० वर्ष हो चुके हैं और मेरे हिस्से में अधिकांश कॉमेडी किरदार आए। फिल्म की निर्देशिका लक्ष्मी अय्यर ने जब इस फिल्म के लिए मुझसे संपर्क कर मुझे कहानी का नैरेशन सुनाया तो मैं उन्हें मना नहीं कर सकी।

इस किरदार के लिए आपने कैसी तैयारी की?
अमूमन लोगों को लगता है कि ऐतिहासिक किरदारों के लिए ही होमवर्क करना पड़ता है, जबकि ऐसा नहीं है। हर किरदार की तैयारी करनी पड़ती है। सच कहूं तो मैंने अपने किरदार की प्रेरणा घर के केयर टेकर रही महिला से ली, जो बहुत ही सौम्य स्वभाव की दयालु महिला थीं। मेरे जेहन में वो कहीं न कहीं रह गर्इं। मैंने निर्देशिका से इजाजत लेकर अपने घर की केयर टेकर को अपने ‘बेला’ के किरदार में उतारा।

 सुलभा आर्य के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
सुलभा जी को हिंदी नाटकों, धारावाहिकों और फिल्मों में काम करते हुए कम से कम ५० वर्ष पूरे हुए होंगे, लेकिन मजाल है जो उनके उत्साह या परिश्रम में कोई कमी आई हो? सुलभा जी में बहुत जोश है। अभिनय के प्रति उनमें बहुत जज्बा है। किरदार चाहे जो भी हो और चाहे प्लेटफॉर्म कोई भी हो सुलभा जी बहुत ही पैशन के साथ काम करती हैं। उनके जज्बे को मेरा सलाम।

क्या आपके पिता ने आपकी सिफारिश निर्माताओं से की?
डैड कहां जानते थे कि मुझमें कॉमेडी का टैलेंट है भी या नहीं? मुझे खुद को प्रूव करना था। न मैंने डैड से यह उम्मीद रखी और न ही उन्होंने कभी मेरे लिए किसी प्रोड्यूसर से बात की। खुद मेरे मन में कई तरह के सवाल थे कि क्या होगा मेरे इस नए करियर का? पढ़ाई-लिखाई और मार्वेâटिंग का करियर छोड़ मैं यहां नए सिरे से अपना करियर बनाना चाह रही थी। ऐसे अनेक सवाल थे, जिनका कोई जवाब मेरे पास नहीं था।

बतौर स्टैंड अप कॉमेडियन आपको ब्रेक कैसे मिला?
डैड ने भी बरसों पहले बतौर स्टैंड अप कॉमेडियन का काम अपनी कंपनी (हिंदुस्थान यूनिलीवर) से शुरू किया था और धीरे-धीरे उनके काम की चर्चा होने लगी। मैं भी छोटे ग्रुप, छोटे क्लब हाऊसेस में मौका मिलने पर काम करती गई। ‘कॉमेडी सर्कस’ का ऑडिशन व्रैâक करने के बाद मुझे टीवी के लिए काम मिलने लगा।

 जॉनी लीवर की बेटी होने का सबसे बड़ा फायदा और नुकसान क्या रहा?
फायदे तो बहुत हैं। मेरे कॉमेडियन बनने में डैड का ही सबसे बड़ा योगदान है। यह हुनर मुझे उन्हीं से मिला और मेरी पहचान उन्हीं से बनी है। इससे भी ज्यादा बड़ा फायदा यह है कि मुझे लोगों का बेशुमार प्यार मिलता है। आखिर कॉमेडी की देन मुझे उन्हीं से विरासत में मिली है। मेरे डैड अब तक ४०० फिल्में और अनगिनत स्टेज शो कर चुके हैं, सभी उन्हें जॉनी भाई कहते हैं और सभी को हंसाने वाले जॉनी भाई की बेटी होने से मैं सभी से प्यार पाती हूं। नुकसान इतना ही है कि सभी को मुझ से काफी उम्मीदें हैं। डैड से कॉमेडी में मेरी कोई बराबरी नहीं हो सकती, लेकिन फायदों का पलड़ा नुकसान से कहीं ज्यादा भारी है।

अगर आप जॉनी लीवर की बेटी नहीं होती तो क्या आपको यह मुकाम मिल पाता जो आपने पाया है?
नेपोटिज्म के मामले में मैं क्या कहूं? अगर मैं जॉनी लीवर की बेटी नहीं भी होती तो भी धीरे-धीरे अपने करियर की ओर अग्रसर होती, मैंने बहुत मेहनत की है, यहां तक आने के लिए। सालों-साल ऑडिशन देती रही, स्टैंड अप कॉमेडियन बनने के लिए जो गुण होने चाहिए उन गुणों को आत्मसात किया।

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