मुख्यपृष्ठग्लैमर‘मुझे उसका अफसोस है!’ -तापसी पन्नू

‘मुझे उसका अफसोस है!’ -तापसी पन्नू

नॉन फिल्मी परिवार से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखनेवाली तापसी पन्नू ने अपने दम पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई। अपने ११ वर्ष के करियर में पहली बार फिल्म ‘डंकी’ भले ही सफल नहीं हुई हो, लेकिन फिल्म में उनके काम की बेहद तारीफ हुई। तापसी इन दिनों फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’, ‘वो लड़की है कहां’ तथा ‘दोबारा’ जैसी फिल्मों में मसरूफ हैं। पेश है, तापसी पन्नू से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

फिल्म ‘डंकी’ को सफलता न मिल पाने का आपको कितना अफसोस है?
हर किसी के लिए सफलता के अलग-अलग मायने होते हैं। किसी निर्माता के लिए बॉक्स ऑफिस पर फिल्म द्वारा करोड़ों रुपए कमाना उसके लिए सक्सेस स्टोरी है। शाहरुख खान के लिए भी शायद यह सफलता होगी क्योंकि बरसों बाद उन्हें इस फिल्म में एक फौजी का किरदार मिला। मेरे लिए बड़ी अचीवमेंट ये है कि शाहरुख खान और राजू हिरानी के साथ काम करना। मेरे लिए ये दोनों ही बड़े एचीवमेंट हैं। मैं तो खुशी से फूली नहीं समा रही हूं।

फिल्म में काम करने के दौरान शाहरुख खान से आपने क्या सीखा?
शाहरुख बहुत बड़े स्टार हैं, लेकिन ऑफ स्क्रीन एक बेहद प्यारे इंसान हैं। एक ऐसा व्यक्तित्व जो सेट का माहौल हल्का-फुल्का रखता है और सभी को हंसाता है। गजब के नॉलेजेबल व्यक्ति हैं शाहरुख। वे सभी के खाने-पीने का भी ध्यान रखते हैं। वाकई, उनका ध्यान हर तरफ रहता है।

दो दिन पहले महिला दिवस मनाया गया। आपके लिए महिला दिवस के क्या मायने हैं?
महिला दिन तो पढ़ी-लिखी महिलाओं में मनाने का ट्रेंड है। लेकिन दिन के १६-१७ घंटे अपने परिवार के लिए काम करनेवाली गृहिणी या वर्किंग क्लास लेडी के लिए क्या महिला दिन और क्या नॉर्मल दिन? स्त्री के लिए उसका सशक्तीकरण होना और उसका अपने पैरों पर खड़े होना ही महिला दिन है।

आपके लिए इस दौर में सबसे सशक्त महिला कौन है?
कोई एक नाम नहीं हजारों महिलाएं हैं जो पुरुष प्रधान समाज में अपनी गरिमा के साथ जीना जानती हैं। टीवी माध्यम भी पुरुष प्रधान था कभी लेकिन एकता कपूर ने टीवी क्षेत्र की रानी बनकर यह साबित कर दिखाया की हां अगर स्त्री चाहे तो अपनी मेहनत और प्रतिभा से आसमान छू सकती है। राजनीतिक क्षेत्र में भी कई महिलाएं सशक्त हैं। इंदिरा जी कितनी साहसी महिला थीं, सुषमा स्वराज को देखिए, स्पोर्ट्स फिल्ड की हुनरबाज महिलाओं को देखिए, कल्पना चावला को कोई वैâसे भूल सकता है? खैर, ऐसे कई उदाहरण हैं।

फिल्म निर्माण में कदम रखने की क्या वजह रही?
फिल्म निर्माण हमेशा से ही मुझे आकर्षित करता रहा है। फिल्म निर्माण की इच्छा कई मर्तबा हुई लेकिन मैं यही सोचती कि काश मैं फिल्म निर्माण का सबसे अहम हिस्सा फिल्म की मार्केटिंग ही सीख सकूं। फिल्म मार्केटिंग का फंडा सीखने के लिए आपके पास वक्त, समझदारी, ईमानदारी होनी चाहिए। फिल्म ‘दुनकी’ की शूटिंग करते समय मेरे पास वक्त था। इस फिल्म में मुझे एक्टिंग के सिवा कुछ और नहीं करना था। मैंने जानकारों से मार्केटिंग के बारे में जान लिया। मान लीजिए, मेरी बतौर निर्माता फिल्म अगर फ्लॉप हो भी गई तो यह असफलता मुझे बहुत कुछ सिखाएगी। मेरा फेलियर मुझे एक जबरदस्त सबक सिखाएगा। सफलता से ज्यादा आपको असफलता सिखाती है। कई बार लगता है कि फिल्म के हिट होने या फ्लॉप होने के बारे में हम कलाकार बहुत सोचते हैं लेकिन इसके बारे में सोचने का कुछ भी फायदा नहीं होता। बस हम अपना तनाव बढ़ाते रहते हैं। ‘धक धक’ के रिव्यूज बहुत अच्छे आए लेकिन फिल्म चली नहीं। मुझे उसका अफसोस है।

इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
मैंने बहुत कोशिश की कि एक साफ-सुथरी और फैमिली एंटरटेनर फिल्म बनाने की लेकिन कुछ चीजें हमारे कंट्रोल में नहीं होतीं। आप दुनिया इधर की उधर करा दो कोई फायदा नहीं होता। फिल्म का प्रमोशन मार्केटिंग वायकॉम १८ के पास था। पता नहीं क्या हुआ, उसी वक्त फिल्म ‘आर्चिज’ रिलीज हुई, जिससे दर्शकों की संख्या घट गई।

आपकी आनेवाली फिल्में कौन-सी हैं?
मेरी आनेवाली फिल्मों में ‘हसीना दिलरुबा’, ‘वो लड़की है कहां’, ‘दोबारा’ जैसी फिल्में प्रमुख हैं।

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