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सुप्रीम कोर्ट की ‘घाती’ सरकार को फटकार …तो बंद कर देंगे लाडली बहन और लाडले भाई योजना!

३० साल पहले ली गई जमीन का मुआवजा नहीं देने का मामला
सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सियासी घमासान शुरू है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सीधे तौर पर लाडली बहन और लाडले भाई समेत सभी योजना बंद करने की चेतावनी दी है। पुणे में एक कंपनी के जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिनकी जमीन ले ली है उसे आपके पास पैसा देने के लिए नहीं है और तमाम योजनाओं के तहत लोगों को पैसा देने के लिए है। यदि आपने भूमि अधिग्रहण के बाद पीड़ित को पैसे नहीं दिए तो लाडली बहन योजना को बंद कर दिया जाएगा। कोर्ट ने ऐसी कड़ी फटकार लगाई है।
बता दें कि पुणे में एक व्यक्ति से वर्ष १९९५ सरकार ने उसकी जमीन ली थी, लेकिन उसे अभी तक उस जमीन का मुआवजा नहीं मिला है, इसलिए इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दे चुका है। इस बार कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या आपके पास लाडली बहन योजना के लिए पैसा है, लेकिन याचिकाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है? अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। याचिकाकर्ताओं के पूर्वजों ने वर्ष १९५० में पुणे में २४ एकड़ जमीन खरीदी थी, जिसे राज्य सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं को अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने संबंधित जमीन डिफेंस शिक्षा कॉम्प्लेक्स को दे दी है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कोर्ट ने राज्य सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

आज फिर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जमीन मुआवजे के मामले में टी.एन. गोदावर्मन की ओर से दायर याचिका की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और के विश्वनाथन की बेंच के सामने चल रही है। इस मामले में आपको मुख्य सचिव से बात करनी चाहिए और कंपनी के प्रमुख से बात करने के लिए कहना चाहिए, याचिकाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए एक आंकड़ा तय करना चाहिए और उस आंकड़े के साथ ही अदालत से बात करनी चाहिए। इस पर मुख्य सचिव के राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में व्यस्त होने के कारण कल कोर्ट में सरकार का पक्ष नहीं रखा गया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अगले दिन की डेडलाइन दी है।

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