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स्कूलों में मराठी नहीं तो अब खैर नहीं! …२०२५-२६ से मराठी को अनिवार्य विषय बनाने का सरकार ने लिया फैसला …स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने की घोषणा

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य विषय बनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आगामी शैक्षणिक वर्ष २०२५-२६ से लागू होगा। स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मंगलवार को इस पैâसले की घोषणा की। इसके साथ ही पहले दी गई छूटें समाप्त हो जाएंगी। महामारी के कारण स्कूलों को मरठी को एक विकल्प के रूप में पढ़ाने की अनुमति दी गई थी।
भुसे ने कहा कि स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मराठी को एक जरूरी विषय के रूप में पढ़ाएं और मूल्यांकित करें। इस आदेश में किसी भी तरह की कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नीति राज्य के सभी प्राइवेट, सीबीएसई, आईसीएसई सहित अन्य इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर भी लागू होगी। सितंबर में जारी किए गए सरकारी आदेश के तहत, मराठी भाषा की शिक्षा के लिए एक नया ढांचा तैयार किया गया है। इसके तहत अब विद्यार्थियों का मूल्यांकन अंक आधारित प्रणाली पर किया जाएगा। यह पहले के ग्रेडिंग पद्धति के स्थान पर होगा। अंक आधारित प्रणाली सभी बोर्डों के स्कूलों में लागू होगी। यह मराठी के महत्व को राज्य की शैक्षणिक संरचना में सदृढ़ करेगी।
भुसे ने यह भी कहा कि कई स्कूल, विशेषकर इंग्लिश मीडियम, अक्सर मराठी शिक्षा के नियमों को टालने का प्रयास करते हैं। इस पर नियंत्रण के लिए स्कूली शिक्षा विभाग अब निगरानी करेगा। अभिभावकों को भी ऐसे स्कूलों की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो नीति को लागू करने में संकोच कर रहे हैं। इसके अलावा, चूंकि मराठी भाषा में दक्षता जरूरी है। शिक्षा विभाग उन शिक्षकों के लिए परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रहा है, जो मराठी विषय नहीं पढ़ाते, उन्हें भी इस विषय में दक्षता प्राप्त करना जरूरी होगा।

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