मुख्यपृष्ठस्तंभबच्चों से करें प्यार, तो हाथों में न दें वाहन !

बच्चों से करें प्यार, तो हाथों में न दें वाहन !

अभी कुछ दिन पहले खाचरोद (उज्जैन) में 15-16 साल का स्कूली बालक स्कूटी चलाते हुए फिसल गया, सामने से आ रही अल्टो कार से सिर कुचलने से मौत का शिकार हो गया। माता-पिता की इकलौती संतान थी। यूं तो देश भर में सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। सड़क दुर्घटना पर रोकथाम के कोई उपचार नजर नहीं आ रहे हैं। नाबालिग बच्चों के द्वारा वाहन चलाना तो अनुचित है। ये स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे, सड़कों पर वाहन न केवल तेज गति से चलाते हैं, बल्कि कलाबाजी भी करते जाते हैं। मोबाइल पर बात करना तो जैसे फैशन हो गया है। अभी कुछ दिन पहले भारत सरकार के सड़क परिवहन विभाग द्वारा रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया था कि देश भर में सड़क पर होने वाली दुर्घटना में मौत के शिकार होने वाले अधिकाधिक संख्या नाबालिग बच्चों के भी होते हैं, जो चिंताजनक है। बच्चों से प्यार, दुलार कीजिए, लेकिन जब तक बालक परिपक्व न हो, तब तक वाहन उनके हाथों में देना सरासर माता-पिता की गलती है। बहुत ही मुश्किल से ये इतने बड़े होते हैं और अचानक इस प्रकार दुर्घटना का शिकार होकर जहां छोड़कर चले जाते हैं तो वह दुख-दर्द उसकी पीड़ा, वह परिवार, माता-पिता ही समझ सकते हैं, जिनका बच्चा इस तरह से शिकार हुआ है। अच्छा है कि कुछ घटने के बाद रोने-धोने से पहले ही रो लिया जाए कि जब तक बच्चों में परिपक्वता नहीं आती है, तब तक वाहनों से दूर रखने में ही समझदारी है, जो बच्चों से करें प्यार, वाहन को हाथों में देने से करें इंकार ।
-हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’
खाचरोद, उज्जैन

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