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एंटॉप हिल के सरकारी कॉलोनी में खुलेआम चल रहा गैस का अवैध कारोबार

पुलिस और राशनिंग विभाग बना अनजान, शिकायत के बावजूद भी नहीं होती कार्रवाई!

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के एंटॉप हिल इलाके में एलपीजी गैस एजेंसी संचालकों ने सिलिंडरों को गोदाम में रखने की बजाय सड़क पर ही धड़ल्ले बेच रहे हैं। यह अवैध कारोबार सरकारी नियमों को ताक पर रख और कानून को ठेंगा दिखाकर किया जाता है। हैरत की बात यह हैं कि यह गोरखधंधा पुलिस और राशनिंग विभाग के संरक्षण में सुबह से देर शाम तक मनमानी तरीके से चल रहा है। यह अवैध कारोबार कहीं चोरी-छिपे या फिर दूरदराज के इलाकों में नहीं, बल्कि सीजीएस क्वाटर्स के नाम से जाने, जाने वाले सरकारी कॉलोनी में और एंटॉप हिल पुलिस थाने के बेहद नजदीक घनी आबादी वाले मुहल्लों व नूरा बाजार के नाम से फेमस मार्केट के बीच में हजारों लोगों की जान को जोखिम में डालकर खुलेआम चल रहा है। नूरा बाजार एक ऐसा बाजार है जहां, हर रविवार को हजारों की संख्या में पुरुष और महिलाएं खरीददारी करने आती हैं। इतना भीड़भाड़ वाला इलाका होने के बावजूद भी यहां गैस सिलिंडर बेचने और रिफलिंग का काला कारोबार कई वर्षों से खूब फल-फूल रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक, स्थानीय नागरिक कई बार भारत और एचपी गैस एजेंसी संचालकों के खिलाफ शिकायतें कर चुके हैं परन्तु संबंधित विभाग के अधिकारी इसे संज्ञान में नहीं ले रहे हैं। जिससे यहां के रहिवासियों में भय का माहौल व्याप्त है। लोगों का कहना है कि आबादी के बीच हो रहा अवैध गैस का यह कारोबार किसी दिन एक बड़ा हादसा साबित हो सकता है। फिर जिम्मेदार अधिकारी इस ओर बराबर ध्यान देंगे। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि कोई अप्रिय घटना होने से पहले जिम्मेेदार पुलिस-प्रशासन व राशनिंग अधिकारियों को गंभीरता दिखानी जरूरी है। नाम न छापने की शर्त पर एक डिलवरीमैन ने कहा कि गोदाम न होने के कारण सड़क पर ही गैस सिलिंडर वितरित किए जा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के एजेंसी मालिकों की पुलिस से अच्छी बनती है, इसलिए पुलिस इसे गंभीरता से नहीं लेती। आगे उन्होंने बताया कि यहां कमर्शियल और घरेलू गैस सिलेंडर को ब्लैक रेट में बेचा जाता है। कई लोकल व्यापारी टेम्पों लेकर आते हैं और यहां से सिलेंडर ले जाकर ब्लैक रेट में बेचते हैं। जिसके चलते उपभोक्ताओं को समय से सिलेंडर नहीं मिल पाता। पूछने पर एजेंसी वाले बताते हैं कि अभी दस दिन का समय लगता है।

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