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राज्य के ३४८ दवाखानों में नर्सें बांट रही हैं दवाएं!..वादा करके सरकार ने फार्मासिस्ट नहीं किए नियुक्त…सीएम रहते शिंदे ने खोले थे पूरे राज्य में आपला दवाखाना

सुनील ओसवाल / मुंबई

राज्य की पिछली शिंदे सरकार ने पूरे राज्य में आपला दवाखाना (छोटे अस्पताल) खोले थे। ये अस्पताल चल तो रहे हैं, पर वहां नर्सें मरीजों को दवा बांट रही हैं। यह अनुचित है। सरकार ने तब वादा किया था कि दवा बांटने के लिए फार्मासिस्ट नियुक्त किए जाएंगे, आज तक असने यह वादा पूरा नहीं किया, जिससे यह काम नर्सें कर रही हैं। इस बारे में ‘ईडी’ २.० सरकार के पास भी कोई निश्चत रोडमैप नहीं है।
मरीजों की जान के साथ खिलवाड़!

गत शिंदे सरकार ने राज्यभर में ३४८ आपला दवाखाना खोले थे। देखा गया है कि इन दवाखानों में नर्सें ही दवाइयां वितरित कर रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दवाखानों में फार्मासिस्ट ही नहीं हैं। राज्य सरकार ने मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसे दवाखाना शुरू तो कर दिए, लेकिन सरकार इस योजना के क्रियान्वयन के प्रति उदासीन नजर आ रही है। पता चला है कि महाराष्ट्र के ३४८ अपला दवाखानों में फार्मासिस्ट नहीं हैं। ऐसे में साफ है कि यह सरकार मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है।
बता दें कि यह सेवा गरीब एवं मजदूर वर्ग के लाभार्थियों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी। हालांकि, इलाज के लिए आने वाले मरीजों को फार्मासिस्ट नहीं बल्कि नर्सों के माध्यम से दवाएं वितरित की जा रही हैं। यदि यह गलत तरीके से किया जाए तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। गरीबों, श्रमिकों, मध्यम वर्ग के नागरिकों और मजदूरों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए २०२३ में महाराष्ट्र दिवस पर राज्य भर में ये ‘आपला दवाखाना’ खोले गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इनका उद्घाटन ऑनलाइन किया था। इसे दोपहर २ बजे से रात १० बजे तक खुला रखने की योजना बनाई गई थी।
तीन लोगों का स्टाफ
इन आपला दवाखानों में बाह्य रोगी सेवाओं सहित, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, प्रसवपूर्व जांच और अन्य परीक्षण जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रारंभ में यहां तीन लोगों का स्टाफ था, जिनमें एक डॉक्टर, एक स्टाफ नर्स और एक फार्मासिस्ट होने की बात कही गई थी। हालांकि, दवाइयां, गोलियां वितरित करने के लिए लाइसेंसधारी फार्मासिस्ट का पद स्वीकृत नहीं किया गया। इसलिए पहले चरण में डॉक्टर या स्टाफ नर्स के माध्यम से ही दवाएं बांटी जाने लगीं।
वादा नहीं हुआ पूरा
यह वादा किया गया कि फार्मासिस्ट के पद शीघ्र ही सृजित किऐ जाएंगे। हालांकि, यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। फार्मेसी अधिनियम, १९४८ की धारा ४२(१) के अनुसार, केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही दवाइयां वितरित कर सकते हैं। इसलिए इस बात पर आपत्ति की जा रही है कि नर्सों द्वारा दवाएं बांटना नियमों का उल्लंघन है।

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