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महाराष्ट्र में डेंगू-मलेरिया का प्रकोप!…स्वास्थ्य विभाग की नाक में कर दिया दम

– तीन हजार मलेरिया और १,७५५ डेंगू के आए केस

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र में मानसून पहुंच चुका है। इसी के साथ ही मुंबई समेत प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब कीट व जनजनित रोगों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ गई है। इसी बीच शिंदे सरकार के स्वास्थ्य विभाग की नाक में डेंगू और मलेरिया ने पहले से ही दम कर रखा है। आलम यह है कि दोनों बीमारियां महाराष्ट्र में फैल रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी से सात मई तक महाराष्ट्र में मलेरिया ३,०६२, जबकि डेंगू के १,७५५ मामले सामने आए हैं। हालांकि, इन रोगों से इस साल अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है। इस तरह की जानकारी महामारी विभाग के सह निदेशक डॉ. राधाकिशन पवार ने दी है।
उल्लेखनीय है कि मलेरिया प्लास्मोडियम जीनस के एक कोशिकीय सूक्ष्म परजीवी के संक्रमण के कारण होता है, जो एनोफिलिस मच्छर की कुछ प्रजातियों की मादा द्वारा फैलता है। एनोफिलिस की लगभग ५८ प्रजातियों में से केवल कुछ को ही मलेरिया का प्रमुख वाहक माना जाता है। मच्छरों का घनत्व, जीवन काल, आवास की आदतें, अंडे देने की आदतें, कीटनाशक प्रतिरोध आदि मलेरिया के फैलने के लिए जिम्मेदार हैं।
बता दें कि मच्छर के काटने के दस से पंद्रह दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं। मलेरिया में ठंड, गर्म और पसीना आने की अवस्था दिखाई देती है। इस चरण के बाद एक एसिम्प्टोमैटिक चरण आता है, जिसमें रोगी को राहत महसूस होने लगती है। हालांकि, इसका पता रक्त का नमूना लेकर माइक्रोस्कोप के नीचे देखकर किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इस साल मलेरिया के कुल ३,०६२ मरीज मिले हैं, जिसने सभी की टेंशन को बढ़ा दिया है।
डेंगू के भी १,७५५ मरीज
जनवरी से ७ मई तक राज्य में डेंगू के १,७५५ पॉजिटिव केस भी सामने आए हैं। पिछले साल इसी अवधि में १,२३७ मरीज थे। इस साल गनीमत यह है कि डेंगू और मलेरिया से एक भी रोगी की मौत नहीं हुई है।

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