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तटकरे-गोगावले में शिंदे ने लगाई आग!..पालक मंत्री का निर्णय नहीं होने से तीन जिलों का विकास कार्य ठप

सामना संवाददाता / मुंबई

महायुति सरकार में तीन जिलों में पालक मंत्री पद को लेकर विवाद सुलझ नहीं पा रहा है, जिसकी वजह से जिला विकास योजना तैयार नहीं हो पा रही है। नतीजतन, जिला नियोजन बैठक भी नहीं हो रही है। इसमें रायगड, नासिक जिले का ज्यादा नुकसान हो रहा है। अब खबर आ रही है कि रायगड में पालक मंत्री पद को लेकर असली आग उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लगाई है। अदिति तटकरे और भरत गोगावले में झगड़ा कम करने की बजाय शिंदे ने गोगावले का समर्थन किया है।
भरत गोगावले की नाराजगी पर जब उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अपेक्षा रखना गलत नहीं है। उन्होंने वर्षों तक रायगड में काम किया है। उम्मीदें और मांगें रखना गलत नहीं है। महायुति में चर्चा कर इसका समाधान निकाला जाएगा। उनके इस बयान से साफ है कि यह लड़ाई एकनाथ शिंदे की शह के चलते हो रही है।
बता दें कि राज्य में पालक मंत्री पद की घोषणा हुए एक महीना बीत गया, लेकिन महायुति सरकार में तीनों जिलों में पालक मंत्री को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। रायगड में शिंदे गुट और अजीत पवार गुट, दोनों ही पालक मंत्री पद को लेकर अड़े हुए हैं। राजनीतिक दलों और नेताओं के इस रुख का नुकसान जिले को झेलना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि जिले के हित में यह राजनीतिक दल पालक मंत्री पद को लेकर जल्द कोई निर्णय लेते हैं या नहीं। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सफाई देते हुए कहा कि पालक मंत्री पद को लेकर कोई गतिरोध नहीं है, कुछ फैसले लेने में समय लगता है।
गोगावले ने कहा कि रायगड में पालक मंत्री पद को लेकर वरिष्ठ नेताओं से मेरी कोई चर्चा नहीं हुई। इस पद पर लिया गया फैसला मेरे लिए चौंकाने वाला है। हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी। जब जिले में मेरे समर्थन में माहौल बन चुका था, तब इस तरह का फैसला किसी के भी लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता। यह अप्रत्याशित निर्णय है, ऐसी प्रतिक्रिया देते हुए भरत गोगावले ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
रायगड जिला नियोजन समिति की बैठक से बाहर
इस पर एकमत नहीं बन पाने के कारण जिले को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पालक मंत्री न होने के कारण जिला नियोजन समिति का गठन नहीं हुआ, जिससे अगले वित्तीय वर्ष की विकास योजना अब तक तैयार नहीं हो सकी। इसी वजह से कोकण क्षेत्रीय नियोजन मंडल की बैठक से रायगड जिले को बाहर कर दिया गया।
निर्णय किसी को भी स्वीकार्य नहीं
इस बीच मंत्री भरत गोगावले ने दावा किया कि पालक मंत्री पद के विवाद का विकास कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अलग बैठक आयोजित कर जिले की विकास योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिया गया पैâसला उन्हें और उनके समर्थकों को मानना ही होगा, लेकिन पालक मंत्री पद को लेकर जो निर्णय हुआ है, वह किसी को भी स्वीकार्य नहीं है।

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