सामना संवाददाता / मुंबई
वसई-विरार शहर में प्रदूषण कम करने के लिए मनपा परिवहन विभाग ने ई-बस सेवा शुरू की है। हालांकि, मनपा के पास इन ई-बसों को चार्ज करने के लिए केवल एक चार्जिंग सेंटर है। इस चार्जिंग सेंटर की कमी के कारण मनपा की अधिकांश ई-बसें खड़ी-खड़ी धूल खा रही हैं। यह सेवा वसई-विरार शहर में मनपा के परिवहन विभाग द्वारा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में मनपा के परिवहन विभाग के पास १४७ बसें हैं, जिनके माध्यम से ३६ रूटों पर यह सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। इन बसों में प्रतिदिन ६० से ६५ हजार यात्री सफर करते हैं। हालांकि, शहर के बढ़ते शहरीकरण की तुलना में ये बसें भी अपर्याप्त होती जा रही हैं। कुछ स्थानों पर बसें बहुत कम चलती हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा होती है।
गौरतलब है कि मनपा ने यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने, शहर में प्रदूषण कम करने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का निर्णय लिया था। ये ई-बसें केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत खरीदी गई हैं। वर्तमान में मनपा परिवहन विभाग में ४० ई-बसें पंजीकृत हैं और उनमें से आधी इस सड़क पर चल रही हैं। चूंकि ई-बसें बिजली से चलती हैं इसलिए उन्हें चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में एकमात्र चार्जिंग केंद्र मनपा मुख्यालय के पीछे स्थित है। वहां ई-बसों का चार्ज किया जा रहा है।
करोड़ों रुपए बर्बाद
अपर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों के कारण ई-बसों को पूरी क्षमता से चार्ज करना संभव नहीं है। परिणामस्वरूप, अधिकांश मनपा की बसें इसी स्थान पर धूल में खड़ी रहती हैं। मनपा ने करोड़ों रुपए खर्च कर ये ई-बसें खरीदी हैं। नागरिकों का कहना है कि यदि बसों को यात्रियों को सेवा देने के बजाय ऐसे ही खड़ा छोड़ दिया जाएगा तो वे अनुपयोगी हो जाएंगी। पहले खरीदी गई सड़क सफाई प्रणाली भी इसी तरह कई महीनों से धूल में दबी हुई पाई गई।