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भाजपा की गोद में!

जिस राज्य बैंक घोटाले में देवेंद्र फडणवीस अजीत पवार को जेल में चक्की पीसने भेजने वाले थे, जो उनका आत्मनिर्धार था, उस घोटाले की मुंबई पुलिस की वित्तीय अपराध शाखा ने जांच निपटा ली है। निष्कर्ष यह निकला कि पुलिस को अजीत पवार के खिलाफ कुछ भी ठोस नहीं मिला। ऐसे में भाजपा ने एक के बाद एक पवार को राहत देने का प्लान बनाया है। फडणवीस ने अजीत पवार के कथित बैंक घोटालों पर तांडव किया था। वे कह रहे थे कि उनके पास सिर्फ आरोप नहीं बल्कि सबूत हैं कि पवार और उनके गैंग ने महाराष्ट्र की जनता का पैसा लूटा है, अब उन सबूतों का क्या हुआ? क्या उन्होंने सबूत निगल कर डकार लिया या कुछ और किया? भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का समर्थन करने की फडणवीस ने ‘मोदी गारंटी’ इस तरह लागू की। अगर फडणवीस ने शिखर बैंक घोटाले के सबूत नष्ट किए हैं तो उस आरोप में फडणवीस के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। सबूतों से छेड़छाड़ करना अपराध है। अगर सबूत मौजूद होने के बावजूद पुलिस ने अजीत पवार के शिखर बैंक घोटाले की फाइल बंद कर दी है, तो उन्हें महाराष्ट्र के गृहमंत्री, मुंबई पुलिस कमिश्नर को ‘पार्टी’ बनाना चाहिए और हाई कोर्ट में भी शिकायत करनी चाहिए। क्योंकि इनका काम है माहौल बनाना और ‘भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार’ चिल्लाकर जमीन पर डंडे मारना। तीसरा विकल्प है समाजसेविका सुनेत्रा पवार को उनके पति अजीत पवार की बदनामी करने व परिवार को मानसिक रूप से दुखी कर काका की पीठ में छुरा घोंपने के लिए मजबूर करने के लिए देवेंद्र फडणवीस और उनके लोगों पर मानहानि का मुकदमा चलाना चाहिए! कोई भी ख़ड़ा हो जाए और बदनामी का कीचड़ पैâलाने लगे, यह अच्छा नहीं है। जरंडेश्वर शुगर पैâक्ट्री मामले में अजीत पवार को पहले ही ‘क्लीन चिट’ मिल गई। अब शिखर बैंक घोटाला भी पवित्र हो गया है। सत्तर हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले को लेकर मोदी ही महाराष्ट्र आएंगे और अजीत पवार को गंगा स्नान कराएंगे। मोदी को देश को भ्रष्टाचारमुक्त बनाना है वह इसी तरह से। छगन भुजबल के घोटाले की फाइल अब ‘ईडी’ को नहीं मिलती और ‘ईडी’ कार्यालय की वित्तीय घोटाले की जांच की दो सौ से अधिक फाइलें रोमी भगत नामक एक निजी व्यक्ति के घर में मिलीं। ये सभी फाइलें भाजपा विरोधियों से जुड़ी थीं। ये जो भी हैं, निजी बंदा रोमी भगत है, इनके महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं से संबंध हैं। वही रोमी भगत भाजपा नेताओं और ईडी अधिकारियों के लिए वसूली का काम कर रहा था। जांच अधिकारियों के मुताबिक अब तक इस वसूली का आंकड़ा दो हजार करोड़ तक पहुंच गया है। मोदी गारंटी के बिना ये घोटाला नहीं हो सकता। रोमी भगत भाजपा और ईडी हलकों में किसके लिए काम कर रहा था? उसने अब तक भाजपा नेताओं की क्या और वैâसे सेवा की? इसका खुलासा राज्य के गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस को करना चाहिए या अजीत पवार की तरह इस रोमी भगत की फाइल अपनी टेबल पर मंगाकर उसे बंद करने जा रहे हैं? वसूली, ब्लैकमेलिंग, लूटपाट भाजपा सरकार का अधिकृत धंधा बन गया है और यह व्यवसाय राज्य के गृहमंत्री की मौन सहमति के बिना पनप नहीं सकता है। ‘ईडी’ जांच की २०० फाइलें एक निजी इंसान के पास पाई जाती हैं, क्या फडणवीस को यह गंभीर अपराध नहीं लगता? उन्होंने इस मामले में ईडी के किन अधिकारियों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया? या फिर ये लोग रोमी भगत का नाम भाजपा के लोकसभा के संभावित उम्मीदवारों की सूची में डाल रहे हैं? भाजपा के राज्य में कुछ भी हो सकता है। जिस कृपाशंकर सिंह को भाजपा वित्तीय अपराध मामले में जेल भेजने जा रही थी, उस कृपाशंकर सिंह को भाजपा ने लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। कल इस प्रकार की कृपा और किस-किस पर होने वाली है? आदर्श घोटाले से जुड़े अशोक चव्हाण को भाजपा में शामिल होते ही राज्यसभा सांसद बना दिया गया। श्रीमान चव्हाण पर ‘आदर्श’ घोटाले का आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने लगाया था और देवेंद्र फडणवीस आदि ने राज्यभर में तांडव किया था। ये सभी लोग अब भाजपा में आ गए और पवित्र हो गए। तो फिर उन्होंने जो मानहानि की थी उसकी भरपाई वैâसे होगी? पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एक बार फिर स्पष्ट तौर पर कहा है, ‘अगर आप ईडी की जांच से बचना चाहते हैं तो जैसा हम कहते हैं वैसा हलफनामा लिखें।’ उस हलफनामे का मजमून चौंकाने वाला था और अगर देशमुख ने उस पर हस्ताक्षर किए होते, तो महाविकास आघाड़ी सरकार पहले ही गिर गई होती। देशमुख पर सौ करोड़ की वसूली का आरोप था। यह फर्जीवाड़ा भाजपा नेताओं ने रचा था और खुद फडणवीस और कुछ पुलिस अधिकारी इस फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड थे। अगर देशमुख भाजपा में शामिल हो गए होते तो आज अजीत पवार की तरह फडणवीस की गोद में बैठे होते और भ्रष्टाचार के आरोप गंगा-गोदावरी या भाजपाइयों के थूक में बह गए होते। पहले भ्रष्टाचारी मंडली पर आरोप लगाना और फिर बेशर्मी से उन्हें अपनी जंघा पर बिठा लेना। महाभारत में कीचक की तरह भाजपाइयों की जांघें तोड़ने व्ाâा समय आ गया है। पिछले दस साल में जितने घोटाले हुए, उतने पिछले ७०-७५ साल में नहीं हुए होंगे। पिछले दस वर्षों में जो झूठ के पहाड़ खड़े किए गए हैं, उनके सामने हिमालय की ऊंचाई कम पड़ जाएगी। हर्षवर्द्धन पाटील, हसन मुश्रीफ की तरह अब अजीत पवार भी चैन की नींद सोने लगेंगे। राज्य बैंक घोटाले से अजीत पवार काफी आहत हुए थे। उन्हें परिवार और पार्टी का त्याग करना पड़ा। मानहानि हुई वह अलग से। सुनेत्रा पवार, फडणवीस के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ही दायर करें!

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