-३५० सीट से ऊपर का भाव बनाए रखने के लिए बुकियों पर था भारी दबाव
विवेक अग्रवाल / मुुंबई
लोकसभा चुनावों में मुंबई के सट्टा बाजार में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर प्रोजेक्ट करनेवाले पंटर बुरी तरह से पिट गए। इन चुनावों पर लगभग ६ लाख करोड़ रुपए का सट्टा लगा, जिसमें पंटरों को करीब ४ लाख करोड़ रुपयों का भारी-भरकम नुकसान हुआ है। सट्टा बाजार में दबी जुबान में कहा जा रहा है कि भाजपा की ३५० सीटों से ऊपर के भाव बनाए रखने के लिए मुंबई सट्टा बाजार के बड़े बुकियों पर भारी दबाव था। इसके कारण बुकी तब बेहद परेशान थे, लेकिन अब पंटरों से पैसे न आने के कारण सट्टा बाजार में हाहाकार मचा हुआ है।
एक सटोरिए का कहना है कि इतना अधिक नुकसान पंटरों को हुआ है कि आगामी विधानसभा चुनावों में इसका असर दिखेगा। बड़ी संख्या में पंटर चुनावी सट्टेबाजी से किनारा कर सकते हैं। शुरुआती भाव २०१९ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को ३०३ सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ५२ सीट पर सिमटकर रह गई थी। २०२४ लोकसभा चुनाव की तैयारी में बुकी तीन महीने पहले से जुट गए थे। बुकियों ने चुनाव शुरू होने से लगभग एक महीना पहले ३१६ सीटों पर भाजपा की विजय के लिए एक रुपया यानी ईवन मनी का भाव खोला था। इसके सामने कांग्रेस की ५५ सीट आने की संभावना पर एक रुपए का भाव खोला था। लोकसभा चुनाव में मतदान के दो चरण खत्म होने तक भाव नीचे जाने लगे थे। मुंबई सट्टा बाजार में यह संख्या २९० सीट तक उतर आई और कांग्रेस ६५ सीट तक बढ़ गई थी। इसका कारण मतदान प्रतिशत कम होना बताया था।
भाजपा-कांग्रेस के भाव
मुंबई सट्टा बाजार के मुताबिक, भाजपा के २५० सीट जीतने पर १२ पैसे का भाव मतों की गिनती के एक दिन पहले गिर कर महज ६ पैसे ही रह गया था। इसका मतलब यह हुआ कि सट्टा बाजार ने समझ लिया था कि भाजपा को इससे अधिक सीटें नहीं मिलनेवाली हैं, लेकिन २७५ से लेकर ३२५ सीटों तक के भाव फिर भी चल रहे थे। सट्टा बाजार में एक अफवाह यह भी है कि भाजपा की जीत पर एक नेता विशेष ने २९० सीटों की जीत पर मोटी रकम के दांव लगाए थे और वह बुरी तरह हारा है। दूसरी तरफ कांग्रेस की ५० से ६२ सीटें जीतने पर ३३ पैसे से १.४० रुपए तक चले, जिसके बावजूद कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया।
भाजपा के प्रभावशाली प्रदर्शन की उम्मीद के खिलाफ कांग्रेस ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। २०१९ में कांग्रेस ५२ सीटों तक सिमट गई थी जो इस बार ९९ पर जा पहुंची। उत्तर प्रदेश में सपा ने ३७ सीटें जीत कर सट्टा बाजार के सारे अनुमान ध्वस्त कर दिए। इस उलटफेर के कारण पंटरों के बीच मुंबई सट्टा बाजार की विश्वसनीयता काफी गिरी है। सट्टा बाजार के महारथियों का कहना है कि सट्टा बाजार के सारे अनुमान ऐसे मुंह के बल गिरे कि संदेह की नजरों से देखा जाने लगा है।
भाजपा के राज्यवार आंकड़े
भाजपा के लिए राज्यवार सीट हासिल करने पर भी सट्टा खुला था। गुजरात में २६ सीट की जीत पर ७० पैसे, मध्य प्रदेश की २८ सीट के लिए एक रुपया, राजस्थान की १९ सीट के लिए एक रुपया, पश्चिम बंगाल २० सीट पर एक रुपया, हिमाचल प्रदेश की चार सीट पर ८० पैसे, उत्तर प्रदेश की ६४ सीट पर एक रुपया, आंध्र प्रदेश की ८ सीट पर १.३० रुपए, कर्नाटक की १८ सीट पर एक रुपया।
छत्तीसगढ़ में १० सीट पर एक रुपया, उत्तराखंड की ५ सीट पर १० पैसे, झारखंड की ५ सीट के लिए ६० पैसे, दिल्ली की ६ सीट पर एक रुपया, हरियाणा की पांच सीट के लिए एक रुपया, तमिलनाडु में तीन सीट के लिए एक रुपया, पंजाब की दो सीट के लिए एक रुपया, गोवा में एक सीट के लिए एक रुपया का भाव था। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो भाजपा की सीटों की जीती संख्या में खासा उलटफेर देखा गया, जिससे सट्टा बाजार की साख पर न केवल खासी चोट पहुंची, बल्कि कारोबारी नुकसान भी हुआ। अंडमान की एकमात्र सीट भाजपा जीती, तो दिल्ली की ७, आंध्र प्रदेश में ३, अरुणाचल प्रदेश में २, असम में ९, बिहार में १२, छत्तीसगढ़ में १०, दादरा नगर हवेली में १, गोवा में १, गुजरात में २५, हरियाणा में ५, हिमाचल प्रदेश में ४, जम्मू-कश्मीर में २, झारखंड में ८, कर्नाटक में १७, केरल में १, मध्य प्रदेश में २९, महाराष्ट्र में ९, ओडिशा में २०, राजस्थान में १४, तेलंगाना में ८, त्रिपुरा में २, उत्तर प्रदेश में ३३, उत्तराखंड में ५ और पश्चिम बंगाल में १२ सीट पर भाजपा जीत पाई। इससे कोई भी समझ सकता है कि सट्टा बाजार के अनुमानों के मुकाबले भाजपा का प्रदर्शन कितना खराब रहा है।
सट्टा बाजार में एक अफवाह यह भी है कि भाजपा की जीत पर एक नेता विशेष ने २९० सीटों की जीत पर मोटी रकम के दांव लगाए थे और वह बुरी तरह हारा है। दूसरी तरफ कांग्रेस की ५० से ६२ सीटें जीतने पर ३३ पैसे से १.४० रुपए तक चले, जिसके बावजूद कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया।’
सट्टा बाजार में फिर उछाल
चौथा चरण खत्म होने तक भाजपा के लिए सट्टा बाजार में फिर उछाल आया। अब भाजपा के खाते में ३०१ व ६० सीट्स कांग्रेस को मिलना बताया गया। एक बुकी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सट्टा बाजार पर दबाव बढ़ने लगा कि सीटों की संख्या बढ़ाकर ३५० तक रखी जाए, नहीं तो भाजपा के खिलाफ हवा बनेगी। भाजपा की ओर से ४०० सीटों तक के भाव खोलने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। बड़े बुकियों ने इस पर कहा कि ३५० से अधिक सीटें रखने पर बुकियों को भारी नुकसान से गुजरना होगा। यह नुकसान भरपाई कौन करेगा, यह सवाल खड़ा हो गया। इसके बाद बुकियों ने भाव अधिकतम ३२५ सीटों की जीत तक ही पहुंचाया। हालांकि, यह भी नुकसान का ही सौदा था।
ऑनलाइन सट्टा बेलगाम
पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी सट्टेबाजी बेलगाम हो चुकी है। इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। सट्टेबाजी तो फोन पर पूरी तरह बंद है। सभी बुकी पोर्टल तथा ऐप्स सर्वर विदेशों में रखकर ऑनलाइन सट्टेबाजी करवा रहे हैं।