सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में ६० निजी कंपनियों ने मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण यानी लाडका भाऊ योजना के नाम पर १०,००० से अधिक बेरोजगार युवाओं के पंजीकरण में फर्जीवाड़ा किया है और करोड़ों रुपए की सरकारी धनराशि हड़प ली है। इसलिए इन फर्जी भाइयों से १९ करोड़ रुपए वसूलने का समय राज्य सरकार पर आया है।
शिंदे सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले अपनी लाडली बहनों के बाद बेरोजगार भाइयों को खुश करने के लिए लाडला भाऊ योजना शुरू की थी। इसके लिए साढ़े पांच हजार करोड़ का प्रावधान किया गया था, लेकिन देखने में आ रहा है कि बेरोजगार युवाओं की बजाय पिछले छह माह से फर्जी रजिस्ट्रेशन दिखाकर प्रशिक्षण के नाम पर हजारों रुपए हड़प लिए गए हैं। इसलिए योजना की घोषणा के सात-आठ महीने भी नहीं बीते कि सरकार के लिए फर्जीवाड़ा से वसूले गए पैसे की वसूली का वक्त आ गया है।
इस योजना में १२वीं पास करने वालों को ६,००० रुपए, आईटीआई डिग्री धारकों को ८,००० रुपए प्रति माह मिलेंगे। वहीं ग्रेजुएट्स को छह महीने तक १० हजार तक स्टाइपेंड दिया जाता है। अब तक १ लाख १६ हजार ९५० बेरोजगार युवा योजना के लाभार्थी हैं। हालांकि, इनमें से १० हजार २७९ फर्जी पाए गए हैं। इनके वेतन मद में १८ लाख ७८ लाख ३७ हजार की राशि निकाली गई है। यह योजना राज्य के १० लाख बेरोजगार युवाओं को उद्योगों में व्यावहारिक कार्य अनुभव प्रदान करने और उद्योगों को आवश्यक जनशक्ति प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। दरअसल, १ लाख १६ हजार ९५० बेरोजगार युवाओं ने ही इसका फायदा उठाया। इसमें भी अब तक योजना पर की गई निधि के प्रावधान का मात्र ५.८३ फीसदी (पांच हजार करोड़) यानी ३२१ करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। ग्लोबल मल्टी सर्विसेज ने १९० युवाओं के नाम पर १ करोड़ ९० लाख की ठगी की है। जबकि टैलेंटकॉर्प सॉल्यूशन ने १,३१२ युवाओं का फर्जी पंजीकरण दिखाया और एक करोड़ छह हजार रुपए वसूले। महाराणा एजेंसी ने ४२४ लोगों का फर्जी रजिस्ट्रेशन दिखाया है और ८२ लाख रुपए वसूले, इसी प्रकार अन्य कंपनियों ने सरकार को चूना लगाया है।
पुलिस में शिकायत क्यों नहीं?
फिलहाल कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता विभाग फर्जी रजिस्ट्रेशन दिखाने वाली ६० कंपनियों से पैसा वसूलने पर फोकस कर रहा है, लेकिन सरकार को चूना लगाने वाली कंपनियों के मालिकों पर केस दर्ज करना जरूरी है। यह घोटाला राजनेताओं, अधिकारियों और कंपनियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। इसलिए कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता विभाग में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस तथाकथित घोटाले में किसको बचाया जा रहा है।