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आमदनी अठन्नी, किराया रुपैया! …मुंबई में रहना हुआ बजट से बाहर

-महंगाई के मामले में कई शहरों से आगे मुंबई
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में किराए की दरें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे शहर में रहना अब आम आदमी के लिए मुश्किल होता जा रहा है। क्रेडाई-एमसीएचआई की नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि महंगाई के मामले में मुंबई शहर अन्य मेट्रो शहरों जैसे बंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और चेन्नई से काफी आगे निकल चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में एक बीएचके अपार्टमेंट का औसत मासिक किराया ४३,१३८ रुपए तक पहुंच गया है, जो बंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर के लगभग दोगुनी कीमत है।
औसत वेतन और किराए में भारी असमानता
‘क्रेडाई-एमसीएचआई’ के अध्यक्ष डोमिनिक रोमेल के अनुसार, मुंबई में डेवलपर्स को भारी प्रीमियम और कानूनी शुल्कों का सामना करना पड़ता है। दिल्ली-एनसीआर की तुलना में यहां २५ गुना ज्यादा प्रीमियम लिया जाता है और हैदराबाद की तुलना में ५० गुना ज्यादा। यह सीधे तौर पर निर्माण लागत और संपत्ति कीमतों पर असर डालता है जिससे किराए की दरें भी बढ़ जाती हैं।
रियल इस्टेट चक्र और सेक्टरल विकास का प्रभाव
‘प्रॉपफाइना’ के सह-संस्थापक नितिन सिंघल ने बताया कि मुंबई का वित्तीय क्षेत्र, बंगलुरु का आईटी सेक्टर और दिल्ली-एनसीआर की सरकारी सेवाएं वेतन और आवासीय मांग दोनों पर असर डालती हैं। इसी कारण से मुंबई में किराए की दरें अधिक हैं, जबकि अन्य शहरों में यह किफायती बनी रहती हैं।
मांग और उपलब्धता के बीच असंतुलन
‘द मेंटर्स रियल इस्टेट एडवाइजरी’ के सीओओ दीपक नायर ने कहा कि मुंबई की सीमित भूमि, शहरी घनत्व, और वित्तीय व मनोरंजन क्षेत्रों से आने वाली मांग के चलते किराया ऊंचा रहता है, जबकि बंगलुरु में निरंतर अवसंरचना विकास और संतुलित आवास आपूर्ति ने किराए को किफायती बनाए रखा है।

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