-अब कामा में शुरू होगी रेडियोथेरेपी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
बदलते जीवन शैली और प्रदूषित वातावरण के चलते लोगों को कई घातक बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया है। इस फेहरिस्त में वैंâसर भी शामिल हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि २०५० तक दुनिया में कैंसर की सुनामी आने की संभावना है। यह प्रकोप सबसे ज्यादा हिंदुस्थान को प्रभावित करेगा। ऐसे में इस बीमारी को कंट्रोल करने पर काम करने की बजाय महायुति सरकार गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रही है। आलम यह है कि पूरे राज्य में किसी भी सरकारी अस्पताल में कैंसर के इलाज को लेकर सटीक प्रबंधन नहीं है। इतना ही नहीं रेडियोथेरेपी तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अब कामा अस्पताल में दो माह बाद यह सुविधा मुहैया कराने की योजना है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में कैंसर रोगियों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। कैंसर के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आया है। खानपान बदल गए हैं। शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। इसी में मुंबई समेत कई बड़े शहरों में प्रदूषण ने लोगों की नाक में दम कर दिया है। ये सभी कारक कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को बुलावा दे रहे हैं। इन सभी कारकों के चलते मुंबई समेत पूरे देश में कैंसर के रोगियों में वृद्धि होगी। हालांकि, इन संभावनाओं के बावजूद राज्य की महायुति सरकार गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। सूत्रों के मुताबिक, मुंबई और महाराष्ट्र में स्थित कुछ सरकारी और मनपा अस्पतालों में कैंसर के इलाज की मामूली सुविधा दी गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे राज्य में मात्र मुंबई मनपा के नायर अस्पताल में ही रेडियोथेरेपी की व्यवस्था की गई है, लेकिन कई महीनों से बंद पड़ी है। दूसरी तरफ राज्य सरकार द्वारा संचालित महिलाओं के विशेष कामा अस्पताल में यह सुविधा फरवरी महीने से मिलना शुरू होगी। हालांकि, इस अस्पताल में केवल महिला वैंâसर मरीजों को ही यह सुविधा मिलेगी।
डेढ़ साल से सुविधा है बंद
कामा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने कहा कि यहां रेडियोथेरेपी का मुद्दा दो महीने में सुलझ जाएगा। करीब ३८ करोड़ रुपए की लागत वाली अत्याधुनिक नई लीनियर एक्सीलेटर रेडिएशन मशीन उपलब्ध होने से महिलाओं को लाभ मिलेगा। अस्पताल में महिला वैंâसर मरीजों को यह सुविधा विभिन्न योजनाओं के तहत यानी एक तरह से मुफ्त में मुहैया कराई जाएगी।
१५ से २० लाख रुपए आता है खर्च
बता दें कि नायर अस्पताल में भी रेडियोथेरेपी मशीन उपलब्ध तो है, लेकिन वह लंबे समय से बंद पड़ी है, जिससे गरीब वैंâसर मरीजों को टाटा अस्पताल या निजी सेंटरों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो बहुत खर्चीला है। चिकित्सों के मुताबिक, रेडिएशन थेरेपी पर निजी सेंटरों में रोगियों को छह सेशन के लिए १५ से २० लाख खर्च करने पड़ते हैं, जबकि इस सरकारी सरकारी अस्पतालों में यह खर्च बिना किसी योजना के एक लाख रुपए तक जा सकता है।