सामना संवाददाता / चंडीगढ़
पंजाब की कुल १३ सीटों में से कांग्रेस को ७, आम आदमी पार्टी को ३ सीटें मिली हैं। देखा जाए तो ‘इंडिया’ गठबंधन के बैनर तले दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी चुनाव मिलकर लड़े और पंजाब में इंडिया गठबंधन के सदस्य दोनों दल अलग-अलग लड़े, जिसका फायदा न तो कांग्रेस को हुआ और न ही आम आदमी पार्टी को। हालांकि, पहले जो समीकरण सामने आ रहे थे, उसके मद्देनजर उनका अलग-अलग चुनाव लड़ना जस्टीफाई किया जा रहा था। लेकिन चुनाव के आंकड़े अब उस निर्णय को गलत साबित कर रहे हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को १० सीटें मिली हैं।
२०१९ में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने १३ में से ८ सीटों पर जीत दर्ज की थी। आम आदमी पार्टी को १ सीट मिली थी। शिरोमणि अकाली दल को २-२ सीटें मिली थीं। बात करें २००२ के विधानसभा चुनाव के नतीजों की तो आम आदमी पार्टी को ९२, कांग्रेस को १८, शिरोमणि अकाली दल को ५, भाजपा को २ सीटें मिली थी। पंजाब विधानसभा में कुल मिलाकर ११७ सीटें हैं।
अब आते है ताजातरीन हालात पर। ये १० सीटें १३ हो सकती थीं, लेकिन डर था ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के भूत का। दरअसल, पंजाब में कांग्रेस द्वारा १ जून १९८४ में किए गए ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की कसर आज भी देखी जा सकती है। कांग्रेस और आप को इस बात का डर था कि ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार का असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। चूंकि पंजाब में चुनाव १ जून को था और १ जून ही उस दर्द की याद दिलाता है। कांग्रेस और आप का यह डर वाजिब भी था, लेकिन दोनों दल यह भूल गए कि पंजाब में किसान आंदोलन का मामला जोर पर है। इसके अलावा महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी भाजपा के लिए चुनौती बने हुए थे। यदि सिर्फ किसान आंदोलन के मसले पर भी दोनों दलों का ध्यान जाता तो हो सकता था कि दोनों का मूड बदल जाता और दोनों दल ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी के तौर पर मैदान में आते तो तस्वीर जुदा होती। बेशक शिरोमणि अकाली दल को एक सीट मिली है, लेकिन देखनेवाली बात यह भी है कि उसने अपनी सीट खोई भी है २०१९ के बनिस्पत!
हालांकि, यह अच्छी बात रही कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आमने-सामने आने से बचते रहे। पंजाब के चुनावी नतीजे भाजपा के गाल पर करारा तमाचा है। मुख्यत: किसान आंदोलन के चलते २६ सालों में पहली बार भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है। उसकी करारी हार हुई है। एक डर एक गलत पैâसले ने पंजाब को इंडिया गठबंधन की झोली में आने से रोक दिया। वरना पंजाब की १३ में से १३ सीटें निश्चित तौर पर इंडिया गठबंधन के खाते में आती और हालात ‘इंडिया’ गठबंधन का बल्ले-बल्ले हो जाता।