मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिभारतीय ज्ञान परंपरा : पर्यावरण और संपोषी विकास विषय पर आयोजित सेमिनार

भारतीय ज्ञान परंपरा : पर्यावरण और संपोषी विकास विषय पर आयोजित सेमिनार

भारत की पारंपरिक पद्धतियों में जलवायु समस्या का समाधान: हर्षा बंगारी
भारतीय निर्यात आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) ने “भारतीय ज्ञान परंपराः पर्यावरण और संपोषी विकास” विषय पर बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), मुंबई के तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार का उद्घाटन प्रबंध निदेशक हर्षा बंगारी और उप प्रबंध निदेशक दीपाली अग्रवाल द्वारा मुख्य अतिथि, पद्मश्री चैत्राम पवार सहित अन्य वक्ताओं के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर प्रबंध निदेशक ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने तो प्रकृति को माता के रूप में सम्मान दिया है। हमारी भारतीय पारंपरिक जीवनशैली में प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने का सिद्धांत था। आज, जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है, तब भारत की पारंपरिक पद्धतियां और आधुनिक नवाचार प्रभावी समाधान दे सकते हैं।” महाप्रबंधक नवेन्दु वाजपेयी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमिनार के विषय चयन और उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उप प्रबंध निदेशक दीपाली अग्रवाल द्वारा संकल्पतरु और अक्षयपात्र प्रमाणपत्रों से मुख्य वक्ताओं का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में पद्मश्री चैत्राम पवार ने कहा कि जल, जंगल, ज़मीन, जन और पशुधन मानव अस्तित्व के लिए सबसे जरूरी हैं और भारतीय पारंपरिक ज्ञान तथा भारतीय गांवों में वो संसाधन हैं, जो संपोषी विकास के स्वप्नस को साकार कर सकते हैं। तामुल प्लेट्स मार्केटिंग प्रा. लि के संस्थापक और सीईओ अरिंदम दासगुप्ता ने कहा कि इस धरती पर जो कुछ भी पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाए बिना सरलता से इसी धरती में मिल जाए, गायब हो जाए, अदृश्य हो जाए, वही संपोषी है। अनूठी की संस्थापक जयमाला गुप्ता ने कहा कि संपोषी विकास में महिलाओं व युवाओं की भूमिका अहम है अतः संपोषी पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए उनका कौशल विकास जरूरी है। वरिष्ठह पर्यावरण पत्रकार निधि जाम्वाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण और संपोषी पद्धतियों का पहला ज्ञान हमें हमारी मां-नानी-दादी से मिलता है। जलवायु परिर्वतनों से हो रही समस्याओं के समाधान में ग्रामीण महिलाओं का योगदान उल्लेखनीय है।
इस दौरान नराकास अध्यक्ष और बैंक ऑफ महाराष्ट्रर के महाप्रबंधक, गिरीश थोरात विशेष रूप से उपस्थित रहे। महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे की भी इस सेमिनार में विशेष उपस्थिति रही तथा सत्र के दौरान इन्होंने अपने विशेष संबोधन से संबोधित किया। इस वर्ष नराकास (उपक्रम) की सदस्य संस्थाओं को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया। इस सेमिनार में विभिन्नर बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों, मुंबई स्थित नराकास उपक्रम की विभिन्नव सदस्य संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, मुंबई स्थित विभिन्नो महाविद्यालयों के छात्रों और प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।

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