-हिंदुस्थानी बोले, अच्छे थे वो पुराने दिन
सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान में एक बार फिर मोदी और भाजपा की सत्ता आ चुकी है। मोदी के तीसरे कार्यकाल को मोदी ३.० का नाम दिया गया है। वहीं मोदी के आने के बाद महंगाई इतनी बढ़ गई है कि हिंदुस्थानियों ने महंगाई को ३.० का नाम दे दिया है। दरअसल, प्याज और दाल की कीमतों के बाद अब आटा भी महंगा हो गया है। मोदी ३.० में आम जनता को तो दो वक्त की रोटी-दाल भी अब दूभर हो गई है। इतना ही नहीं, महंगाई से परेशान आम जनता पुराने दिन अच्छे थे, ऐसी बातें करने लगी है। बता दें कि चुनावों के खत्म होते ही लोगों को महंगाई का झटका लगना शुरू हो गया है। सब्जी के भावों में पिछले कुछ दिनों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। अब हर सब्जियों के साथ प्याज ने भी आंखें दिखा दी हैं। पिछले एक सप्ताह में प्याज के भाव २०-२५ रुपए बढ़ गए हैं। कुछ दिनों पहले रिटेल में १२-१५ रुपए किलो बिकने वाला प्याज अब ४० रुपए किलो बिक रहा है। वहीं, व्यापारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में मांग बढ़ने व सप्लाई प्रभावित होने से प्याज के भाव और बढ़ सकते हैं। ऐसे में आम जनता को अगले कुछ दिनों तक महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।
कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री पर दिए गए डेटा के मुताबिक इस समय देश में आटे का औसत रिटेल भाव ३६ रुपए प्रति किलोग्राम है, जो पिछले साल के औसत रेट से ज्यादा है।
आलू भी हो गया महंगा
आलू के भाव भी बढ़ गए। गर्मी की वजह से हरी सब्जियों की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं। इस वजह से कम आमदनी वाले लोग आलू पर ज्यादा निर्भर हो गए। लेकिन अब बाजार में साधारण आलू की कीमत भी ४० रुपए किलो तक पहुंच गई है। बढ़ती महंगाई से लोग चौतरफा त्रस्त दिख रहे हैं और फिलहाल उन्हें राहत मिलती नहीं दिख रही है।
सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार पिछले १६ सालों में सबसे कम स्तर पर आ गया, जब कि अप्रैल में २०२४ में ७५ लाख टन हो गया। इसके पीछे का कारण है कि सरकार को आटा मिलों और बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों को रिकॉर्ड १ करोड़ टन से ज्यादा गेहूं बेचना पड़ा था।
सरकार की गलत नीतियों की वजह से तेजी से बढ़ रहे दाम
सरकार की गलत नीतियों के कारण प्याज के दामों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। केंद्र सरकार ने ७ दिसंबर २०२३ को प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण आम लोगों को सस्ता प्याज मिलना था, लेकिन इसकी वजह से किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा। किसानों को प्याज एक रुपए से लेकर १० रुपए किलो तक के दाम पर बेचना पड़ा। दबाव बनने के बाद सरकार को पांच महीने बाद ४ मई को निर्यात खोलना पड़ा। इस समय रबी सीजन का प्याज निर्यात हो रहा है। उत्पादन में कमी के होने के चलते इसे जमकर स्टोर किया जा रहा है। इसलिए प्याज के दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कारण कुछ भी हो, लेकिन मंहगाई की भीषण मार जनता पर पड़ रही है।