जीएसटी परिषद की बैठक में टल गया प्रस्ताव
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार ने देश के उन लाखों लोगों को झटका दिया है, जो स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में कटौती का इंतजार कर रहे थे। मंत्री समूह ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कम करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे जीएसटी परिषद की अगली बैठक तक स्थगित कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि लोगों को अभी भी पुरानी कर दर पर ही अपने बीमा पर प्रीमियम का भुगतान करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की ५५वीं बैठक, जो कल राजस्थान के जैसलमेर में हुई। स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दरों में कटौती को जनवरी २०२५ तक टाल दिया गया है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दरों पर चर्चा करेंगे। उल्लेखनीय है कि कटौती की समीक्षा के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बीमा पर जीएसटी पर चर्चा के लिए जीओएम की जनवरी में फिर से बैठक होने की संभावना है। कहा गया कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर प्रीमियम कम करने के पैâसले को टालने के पीछे और स्पष्टीकरण की जरूरत है। परिषद ने मंत्री समूह (जीओएम) से अपनी रिपोर्ट को अधिक व्यापक बनाने के लिए अतिरिक्त जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है और संकेत दिया है कि जीएसटी दरों को संशोधित करने या स्वास्थ्य और जीवन बीमा से संबंधित प्रीमियम को कम करने पर कोई भी निर्णय लेने से पहले मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है।
बीमा पर जीएसटी दर
वर्तमान में स्वास्थ्य बीमा, टर्म जीवन बीमा और यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाएं १८ फीसदी की जीएसटी दर के अधीन हैं। एंडोमेंट योजना में जीएसटी दर पहले वर्ष में ४.५ फीसदी और दूसरे वर्ष से २.२५ फीसदी है, वहीं जीवन बीमा के लिए एकल प्रीमियम वार्षिकी पॉलिसियों पर १.८ फीसदी की जीएसटी दर लागू है। उपरोक्त दरें सभी आयु समूहों पर समान रूप से लागू होती हैं। स्वास्थ्य बीमा पर मंत्री समूह (जीओएम) ने १६ दिसंबर को राज्य और केंद्र सरकार के राजस्व अधिकारियों को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर १८ फीसदी जीएसटी
जीएसटी परिषद ने बीमा पर कर के मुद्दे पर सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया है, जिसने नवंबर में अपनी बैठक में टर्म जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन कल हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में इसे जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों द्वारा स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए भुगतान किए जानेवाले प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा पांच लाख रुपए तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए जानेवाले प्रीमियम को भी जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन पांच लाख रुपए से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसियों के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर १८ फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा।
बीमा क्षेत्र से जुड़े राजेश राम का कहना कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियां कोई विलासिता की वस्तु नहीं है, फिर भी मोदी सरकार बीमा पॉलिसियों पर १८ प्रतिशत जीएसटी वसूलती है, जो सरासर अन्याय है। एक तो मोदी सरकार लोगों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा सुरक्षा दे नहीं पा रही है। इसके उलट विलासिता की वस्तु की तरह १८ प्रतिशत जीएसटी वसूलना सरासर अन्याय है। भारी भरकम जीएसटी के लोगों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियां लेने में कठिनाई महसूस होती है।