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महंगाई सुल्तानी, अब लहसुन भी अफगानी! …अभी दो महीने तक भाव कम होने के आसार नहीं

सुनील ओसवाल / मुंबई
केंद्र सरकार महंगाई पर काबू नहीं कर पा रही है। खाने-पीने की चीजों के भाव इतने बढ़ते जा रहे हैं कि अब लोग इस सुल्तानी महंगाई से तंग आ चुके हैं। लहसुन के भाव तो इतने ज्यादा बढ़ चुके हैं कि अब मुंबई के बाजार में अफगानी लहसुन से तड़का लगाया जा रहा है।
बता दें कि देशभर में लहसुन की कमी के कारण इसकी कीमतें ऊंची हो गई हैं। लहसुन की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए अफगानिस्तान से लहसुन का आयात किया गया है। अफगानिस्तान का लहसुन मुंबई, दिल्ली और दक्षिण भारतीय बाजारों में बेचा जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि अफगानिस्तान से लहसुन आयात करने से कीमतें कुछ नियंत्रित हुई हैं वर्ना खुदरा बाजार में लहसुन की कीमत ५००-५५० रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती। पिछले सीजन में लहसुन के उत्पादन में गिरावट के कारण बाजार में लहसुन की कमी है। मांग की तुलना में आमद कम होने के कारण लहसुन की कीमतें अधिक हैं। खुदरा बाजार में एक किलो लहसुन की कीमत ४०० रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। नई आमद शुरू होने तक अगले दो महीनों तक दरों में तेजी बनी रहेगी। लहसुन की खेती अधिकतर गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में की जाती है। पिछले दो सालों में लहसुन की कीमत कम होने के कारण किसानों ने लहसुन की खेती कम कर दी है। उन्होंने लहसुन की जगह अन्य फसलें उगाना पसंद किया। लहसुन का मौसम जनवरी में शुरू होता है।
पिछले साल सीजन शुरू होने से पहले किसानों के पास लहसुन का ज्यादा स्टॉक नहीं था इसलिए इस साल लहसुन की बढ़ती कीमतें बरकरार रहीं। लहसुन का सीजन शुरू होने में अभी दो महीने बाकी हैं। व्यापारियों का कहना है कि मांग की तुलना में आमद कम होने के कारण लहसुन को ऊंचे दाम मिले हैं।

व्यापारियों का कहना है कि अफगानिस्तान से लहसुन आयात करने से कीमतें कुछ नियंत्रित हुई हैं वर्ना खुदरा बाजार में लहसुन की कीमत ५००-५५० रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती।

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