मुख्यपृष्ठस्तंभप्रेरणादायक यात्रा : कला के फ्रेम में मोहनलाल की सेवा यात्रा!

प्रेरणादायक यात्रा : कला के फ्रेम में मोहनलाल की सेवा यात्रा!

संदीप पांडेय

मुंबई की तेज रफ्तार जिंदगी में अगर किसी को कभी भी मदद की जरूरत हो और सामने मोहनलाल गहलोत खड़े मिल जाएं, तो समझिए आप सही दरवाजे पर पहुंचे हैं। राजस्थान के जालोर जिले की आहोर तहसील के सापनी गांव से निकलकर आज बांद्रा (प.) में ‘रॉयल आर्ट एंड फ्रेम’ के नाम से कलाकारों की कला को नया आयाम देनेवाले मोहनलाल गहलोत न केवल व्यवसाय में, बल्कि समाजसेवा में भी एक प्रेरणादायक नाम बन चुके हैं।
उनकी यह यात्रा १९९६ में कोलाबा से शुरू हुई थी, जब उन्होंने सीमित संसाधनों के साथ कारोबार की नींव रखी। शुरू में छोटे-छोटे फ्रेम बनाने से लेकर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की पेंटिंग्स को फ्रेम करने तक उनका सफर श्रम, लगन और विश्वास का उदाहरण है। ‘हर कलाकार की रचना एक भावना होती है, मैं उसे सम्मान देने का काम करता हूं’, मोहनलाल गहलोत कहते हैं।
मुंबई-मारवाड़ और मीरा-भायंदर क्षेत्र में घांची समाज के लिए उनकी भूमिका सिर्फ एक व्यवसायी की नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, सलाहकार और संकटमोचक की है। समाज के किसी भी वर्ग से आए व्यक्ति की मदद के लिए चाहे रात के दो ही क्यों न बज रहे हों, मोहनलाल गहलोत का फोन हमेशा चालू रहता है। यही कारण है कि समाज के वरिष्ठों से लेकर युवाओं तक सभी उन्हें एक विश्वसनीय बड़े भाई के रूप में मानते हैं।
उनकी सोच हमेशा सामूहिक विकास पर केंद्रित रही है। कई युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करने के साथ ही उन्होंने समय-समय पर सामाजिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभाई है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने अपने व्यवसाय को केवल आय का साधन नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम बना दिया है।
जब उनसे पूछा गया कि सालों से लगातार उन्हें प्रेरणा कहां से मिल रही है, तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा, ‘गांव की मिट्टी से मिली सादगी, मुंबई की समझदारी और समाज का साथ- यही मेरी ऊर्जा है।’
आज मोहनलाल गहलोत न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि एक सच्चे समाजसेवी भी हैं, जो दूसरों के सपनों को सजाने में अपने जीवन की चमक तलाशते हैं। वे एक ऐसे प्रâेमकार हैं, जिन्होंने न केवल चित्रों को, बल्कि लोगों की उम्मीदों और रिश्तों को भी खूबसूरती से सजाया है।

अन्य समाचार