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मध्यांतर : मध्य प्रदेश में गहराया बंजारा पेशाब कांड …सियासत की हंडिया में लघु शंका

प्रमोद भार्गव
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

आजकल सीधी से शुरू हुई मूत्र विसर्जन की राजनीति देशव्यापी चर्चा का विषय रही थी। अब इसी किस्म का एक और शर्मनाक कांड गुना में सामने आया है। पीड़ित महेंद्र सिंह ने बताया कि वह गांव में घूरा फेंकने का काम करता है। फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के सेनबोर्ड चौराहे पर सौदान सिंह, गुमान सिंह, ओमकार सिंह बंजारा ने उसका अपहरण कर लिया। उसके बाद राजस्थान के अटरू, झालावाड़ गांव ले जाकर बदन बंजारा, छोटू, रमेश, तोफान, प्रेम, गेंदा, कालूराम, गुलाब और महिला मथुरीबाई ने मारपीट की। मारपीट के बाद पेशाब पिलाई गई, जूतों की माला पहनाकर सिर मुंड़वा दिया गया। मुंह पर कालिख पोतकर घाघरा पहनाया गया और गांव में घुमाया गया।
पीड़ित युवक का कहना है कि इस घटना के बाद से वो शर्मसार हो गया है। यदि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती तो वो आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएगा। पीड़ित ने बताया कि घटना का वीडियो बनाकर उससे २५ लाख रुपए की डिमांड की गई, लेकिन २० लाख रुपए देने का वादा किया, तब जाकर तीन दिन बाद आरोपियों ने उसे रिहा किया। बताया जा रहा है कि पीड़ित महेंद्र के चाचा की लड़की की शादी राजस्थान में रमेश बंजारा से हुई थी। रमेश और उसके परिजन महिला के साथ मारपीट करते थे इसलिए वो ससुराल छोड़कर भाग गई। इसी बात से नाराज होकर आरोपियों ने चचेरे भाई महेंद्र को उठा लिया और बंधक बना लिया। शादी-ब्याह में खर्च हुई रकम व जुर्माना लगाकर २५ लाख रुपए की मांग की। जैसे-तैसे मामला २० लाख रुपए पर तय हो गया और महेंद्र को तीन दिन के अंदर रकम चुकाने के लिए मुक्त कर दिया गया, लेकिन पीड़ित महेंद्र सिंह के साथ अमानवीयता का वीडियो वायरल होते ही हड़कंप मच गया। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले को लेकर मोहन यादव सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मोहन यादव जी, पता नहीं आप कौन-से प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश में तो दोनों की ही उपस्थिति दिखाई नहीं देती। कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति में पहले प्रदेश के मुंह पर काला टीका लगाया, लेकिन अब तो लगता है पूरा मुंह ही काला कर दिया है। यदि गृह मंत्रालय नहीं संभाल पा रहे हैं, तो छोड़ क्यों नहीं देते? आपकी जिद जनता की जान लेने पर उतारू है।
अच्छा होता, इसे राष्ट्रीय विमर्श का विषय बनाया जाता? क्योंकि राजनीति से कहीं बढ़ा यह समाज का प्रश्न है। लेकिन जिस समाज को प्रश्न बनाकर इसका हल खोजने की जरूरत थी, वह वोट बैंक की देहरी पर आकर ध्वस्त हो गर्इं। तय है, लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में भी यह मुद्दा गरमाएगा। नि:संदेह यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। कानून एक इबारत भर है, लेकिन इंसानियत सभ्यता की एक ऐसी भाव-भूमि है, जो किसी भी परिस्थिति में एक इंसान को दूसरे इंसान पर मूतने का अधिकार नहीं देती है। तथापि अमानवीयता की हद पार कर जाने वाले रिश्तेदारों ने ही इस घटना को अंजाम तक पहुंचाया है। निश्चित ही यह उच्छृंखलता अक्षम्य अपराध है। अतएव न केवल एक युवक पीड़ित के सिर पर अपमानित करने की दृष्टि से लघुशंका करता है, बल्कि दबंगता का प्रदर्शन करते हुए ये लोग मोबाइल पर वीडियो भी बना लेते हैं।
मध्य प्रदेश में सीधी कांड के बाद यह पेशाब किसी व्यक्ति के ऊपर करने को लेकर यह दूसरी बड़ी घटना है। उस समय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे। उन्होंने पीड़ित आदिवासी दशमत रावत को राज-प्रासाद में अतिथि बनाकर चरण पखारे, जल माथे पर लगाया। पुष्पहार पहनाया, शॉल और श्रीफल देकर आरती उतारी। बाद में साढ़े छह लाख रुपए भी दे दिए और भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के विधायक प्रतिनिधि की हेकड़ी निकालकर उसे जेल में तो डाला ही घर भी बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। प्रवेश ने दशमत के सिर पर मूतने का नितांत घटिया काम किया था। प्रवेश शुक्ला ने निम्नतम घटना को अंजाम तक पहुंचाया। शराब के नशे के साथ सत्ता का नशा और उच्च जाति के अहंकार से जुड़े विकार भी इस घटना के कारकों में शामिल रहे थे। अतएव न केवल वह लघुशंका करता है, बल्कि दबंगता का प्रदर्शन करते हुए अपने मित्र से मोबाइल पर वीडियो भी बनवाता है। हालांकि, यह प्रमाणित हो गया था कि वीडियो छह माह पुराना है, लेकिन इससे अपराध कम नहीं हो जाता। यही वीडियो एक ऐसा प्रमाण है, जो एक नहीं एक साथ दो घटनाओं का कारण बना था। दरअसल, प्रवेश ने अपने जिन विश्वसनीय मित्रों से वीडियो बनवाया था, उन्होंने ही धन के लालच में दोस्ती का भरोसा तोड़ दिया था। जब साथियों में मन-मुटाव हुआ तो मित्र प्रवेश को धन के लिए ब्लैकमेल करने लग गए। धन नहीं मिलने पर वीडियो वायरल कर दिया गया। वायरल होते ही मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों और मीडिया में हड़कंप मच गया। परिणामस्वरूप शिवराज ने पीड़ित को अपने निवासस्थल पर बुलाया और चरण पखारकर मामले को ठंडा कर दिया था, लेकिन एक पीड़ित के प्रति वर्तमान मुख्यमंत्री ऐसी उदारता दिखा पाएंगे, फिलहाल कहना मुश्किल है।
(लेखक, वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं।)

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