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गंभीर अपराधों की जांच में आएगी तेजी: मीरा-भायंदर, वसई-विरार पुलिस आयुक्तालय ने शुरू की ‘आई-बाइक फॉरेंसिक टीम’


सामना संवाददाता / मुंबई

मीरा-भायंदर, वसई-विरार पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में सात वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले गंभीर अपराधों की जांच अब और अधिक वैज्ञानिक और त्वरित होगी। पुलिस आयुक्त मधुकर पाण्डेय के निर्देशानुसार, 9 अप्रैल से क्षेत्र के सभी थानों में फॉरेंसिक जांच संबंधी एक नई व्यवस्था लागू की गई है।

इस पहल के तहत ‘आई-बाइक फॉरेंसिक टीम’ की स्थापना की गई है, जो अपराध स्थल से साक्ष्य इकट्ठा करने का कार्य करेगी। यह टीम विशेष रूप से प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों से युक्त है और इन्हें आधुनिक फॉरेंसिक किट से लैस किया गया है। पुलिस आयुक्त मधुकर पाण्डेय ने वसई-विरार में इन टीमों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

नए कानून के अंतर्गत अब सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के मामले में फॉरेंसिक टीम का घटनास्थल पर पहुँचना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका उद्देश्य है अपराध स्थल से वैज्ञानिक तरीके से भौतिक साक्ष्य एकत्र कर जांच प्रक्रिया को और मजबूत बनाना।

आयुक्तालय के तीनों सर्कलों में प्रशिक्षित अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की आधुनिक विधियों में पारंगत हैं। आई-बाइक टीमों को 24×7 ड्यूटी पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपराधिक घटना के तुरंत बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

पुलिस विभाग का मानना है कि इस नई व्यवस्था से अपराधों की त्वरित जांच संभव होगी, जिससे अदालतों में मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत कर दोषियों को जल्द सजा दिलाई जा सकेगी। इससे न केवल न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि अपराधियों के मन में भी कानून का भय उत्पन्न होगा।

आई-बाइक योजना को क्षेत्र में कानून व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे जनता में पुलिस की कार्यप्रणाली के प्रति विश्वास और भी मजबूत होगा।

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