फिरोज खान
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहनेवाली शबाना ने २३ जनवरी को जिला अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। बेटे के पैदा होने की खुशी में सारा घर-परिवार खुशियों में डूबा हुआ था। कुछ दिनों बाद शबाना को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वो घर आ गई। बेटे को देखने के लिए मेहमान घर आ रहे थे। कोई बच्चे के लिए कपड़े तो कोई खिलौने ला रहा था। बेटे की किलकारी सुनकर शबाना बेचैन हो उसे अपना दूध पिलाती। अभी चंद दिन ही बीते थे कि शबाना की नजर बेटे की कलाई पर लगे टैग पर गई। टैग पर जो लिखा था उसे पढ़कर शबाना के होश उड़ गए। टैग को पढ़ने के बाद उसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। असल में बच्चे की कलाई पर लगे हुए टैग पर साधना लिखा हुआ था। शबाना बच्चे को लेकर फौरन अस्पताल पहुंची और सारा वाकया उन्हें कह सुनाया। अस्पताल प्रशासन यह जानकर दंग रह गया और उसे समझने में देर नहीं लगी कि कहीं न कहीं अस्पताल कर्मचारी से चूक हुई है। आनन-फानन में साधना को अस्पताल बुलाया गया। डॉक्टरों ने साधना को बताया कि उसकी गोद में जो बच्चा खेल रहा है, असल में वो उसका नहीं, बल्कि शबाना का है। डॉक्टरों ने साधना को बताया कि उसके और शबाना के डिलिवरी में ७ मिनट का अंतर था। दोनों बच्चों के हाथ में मां का नाम लिखकर टैग लगाया गया था, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों की गलती की वजह से बच्चों की अदला-बदली हो गई है। डॉक्टरों की यह बात साधना मानने को तैयार नहीं हुई। वह अपनी जिद पर अड़ी रही कि उसकी गोद में उसका ही बच्चा है। साधना की जिद ने अस्पताल प्रशासन को मुश्किल में डाल दिया। अस्पताल के कर्मचारी की गलती और साधना की जिद की वजह से सभी की नौकरी खतरे में पड़ गई। साधना सिर्फ एक ही सवाल करती रही कि डॉक्टर यह साबित करे कि उसकी गोद का बच्चा उसका नहीं है। दूसरी तरफ शबाना अपने बच्चे को पाने के लिए तड़प रही थी। वह डॉक्टरों पर दबाव बना रही थी कि उसका बेटा उसे लौटा दिया जाए। खैर, असमंजस में फंसे डॉक्टरों ने सारा माजरा उन्हें कह सुनाया। वरिष्ठों ने कहा कि इसका पैâसला तभी होगा जब साधना और शबाना का डीएनए टेस्ट होगा। आखिरकार, डीएनए टेस्ट में साबित हो गया कि शबाना की गोद में साधना का बेटा है और साधना की गोद में शबाना का बेटा है।
शबाना की नजर बेटे की कलाई पर लगे टैग पर गई। टैग पर जो लिखा था, उसे पढ़कर शबाना के होश उड़ गए।