मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : खेती सिर्फ परंपरा नहीं, लाभकारी उद्यम!

निवेश गुरु : खेती सिर्फ परंपरा नहीं, लाभकारी उद्यम!

भरतकुमार सोलंकी

मुझे गर्व महसूस हुआ जब मैंने हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में गुजरात की एक युवा इंजीनियर जया ओडेदरा की कहानी सुनी। उन्होंने खेती को एक सफल व्यवसाय में बदलकर यह साबित कर दिया कि खेती सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि नवाचार और रणनीतिक दृष्टिकोण से एक लाभकारी उद्यम भी हो सकती है। वर्षों से मैं अखबारों में यह विचार साझा कर रहा हूं कि खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाया जाए और आज जया जैसी युवा किसान इस सोच को हकीकत में बदल रही हैं।
खेती को व्यवसाय के रूप में देखना एक आधुनिक दृष्टिकोण है। इसका अर्थ है कि पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए वैज्ञानिक विधियों और तकनीकी नवाचारों को अपनाया जाए। जैसे अन्य व्यापारों में अनुसंधान और विकास आवश्यक होते हैं, उसी प्रकार कृषि में भी उन्नत बीज, जैविक खाद और सिंचाई के नए तरीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही किसान अपनी उपज को बाजार में उतारने से पहले बाजार की मांग को समझें और उसी हिसाब से उत्पादन की योजना बनाएं।
इस प्रक्रिया में किसानों को व्यापारिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। कृषि में वित्तीय प्रबंधन और विपणन कौशल को शामिल करना समय की मांग है। जैसे हर व्यवसाय में बजट, लाभ-हानि का विश्लेषण और सही समय पर निवेश किया जाता है, वैसे ही खेती में भी इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जब किसान अपनी जमीन, संसाधनों और उत्पादों का सही तरीके से प्रबंधन करेंगे, तो खेती लाभ का सौदा बन सकती है।
जया की सफलता हमें यह भी सिखाती है कि कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए शिक्षा और तकनीक का सही उपयोग कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री होते हुए भी कृषि में नवाचार को महत्व दिया और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर खेती में नई ऊंचाइयों को छुआ। इस तरह की सोच हर किसान को प्रेरित कर सकती है कि वह अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक तरीकों को अपनाकर अपनी खेती को एक लाभकारी उद्यम बना सकें।
आखिर में, सरकार और वित्तीय संस्थानों की भी जिम्मेदारी है कि वे किसानों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से खेती करने के लिए आवश्यक संसाधन और समर्थन दें। वित्तीय सहायता, कर्ज और प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को अपनी खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जब तक यह सोच व्यापक रूप से अपनाई नहीं जाती, तब तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना मुश्किल होगा।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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