भरतकुमार सोलंकी
‘भारत की विकास यात्रा का सफर अध्यात्म और भौतिकता के बीच संतुलन साधने की चुनौती से भरा रहा है। हमने अक्सर फूलों की सुंदरता पर मुग्ध होते हुए उनकी जड़ों को नजरअंदाज किया है, परंतु क्या बिना जड़ों को पोषण दिए फूल खिल सकते हैं? विकास के इस दार्शनिक और यथार्थवादी विश्लेषण में जानिए, वैâसे भारत के भविष्य का निर्माण जड़ों की ओर ध्यान देकर ही संभव हो सकता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि हमारे देश की समृद्धि के लिए कौन-सी नींव मजबूत करनी होगी, तो यह लेख आपके लिए है। पढ़िए और समझिए, क्यों सही दिशा में निवेश और जल प्रबंधन ही विकास का असली मार्ग है।’
भारत की विकास यात्रा हमें यह सिखाती है कि जड़ों को नजरअंदाज करके केवल फूलों की सुंदरता पर ध्यान देना दीर्घकालिक प्रगति के लिए सही नहीं है। अध्यात्म और भौतिकता के बीच संतुलन का अभाव हमारी आर्थिक और सामाजिक जड़ों को कमजोर कर देता है। जिस तरह पौधे की जड़ें उसे पोषण देती हैं, उसी तरह समाज की जड़ें विज्ञान, शिक्षा और बुनियादी ढांचा विकास के फूलों को खिलने में मदद करती हैं। हमने लंबे समय तक विज्ञान और भौतिक विकास को दरकिनार किया, जिससे हमारी समृद्धि सीमित हो गई। विकास के लिए जरूरी है कि हम अपनी जड़ों को पोषण दें और इसका मतलब है, सही दिशा में निवेश करना। जल प्रबंधन एक प्रमुख क्षेत्र है, जहां निवेश की आवश्यकता है। जल ही जीवन की जड़ है और इसका सही प्रबंधन न केवल वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है। मुंबई का उदाहरण हमारे सामने है, जहां दीर्घदृष्टि वाले नेताओं ने जलाशयों का निर्माण किया, जो आज लाखों लोगों के जीवन का आधार है।
अगर हम अपने गांवों, कस्बों और शहरों का समग्र विकास चाहते हैं, तो हमें जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा। सिर्फ चुनावी वादों से विकास नहीं होता, इसके लिए ठोस योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत होती है। आज हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश की जड़ों को पोषण देंगे जल प्रबंधन, विज्ञान, शिक्षा और आधारभूत संरचनाओं पर ध्यान देकर। यही हमारी सच्ची प्रगति का मार्ग है। जब जड़ें मजबूत होंगी, तो विकास के फूल अपने आप खिलेंगे। अंतत: हमारे देश के दीर्घकालिक विकास के लिए सही दिशा में निवेश करना अनिवार्य है। जल प्रबंधन, शिक्षा और विज्ञान में निवेश हमें न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान देगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी समृद्धि की नींव रखेगा। आज जो निर्णय हम लेंगे, वे कल के भारत का स्वरूप तय करेंगे। इसलिए हमें अपनी जड़ों को पोषण देने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि विकास के फलित परिणाम आनेवाले वर्षों में देखने को मिल सकें।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)