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निवेश गुरु : `भूजल स्तर बढ़ाने के लिए बजट में विशेष निवेश प्रावधान की जरूरत’

भरतकुमार सोलंकी
ग्लोबल वॉर्मिंग, कार्बन उत्सर्जन और भूजल स्तर की बढ़ती समस्याओं के कारण पैदा हुई चुनौतियों से हर देश और उसकी सरकार भलीभांति अवगत हैं। केंद्रीय बजट में ग्लोबल वॉर्मिंग, कार्बन उत्सर्जन स्तर को कम करने और भूजल स्तर बढ़ाने के सामर्थ्य वाले प्रावधानों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारे देश में भूजल का स्तर और न गिरे इस दिशा में काम किए जाने की सख्त जरूरत है।
जल हमारे ग्रह पृथ्वी पर एक आवश्यक संसाधन है। इसके बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि खगोलविद पृथ्वी से इतर किसी अन्य ग्रह पर जीवन की तलाश करते समय सबसे पहले इस बात की पड़ताल करते हैं कि उस ग्रह पर जल मौजूद है या नहीं। पृथ्वी पर जल सागरों, महासागरों, ग्लेशियरों, नदियों और झीलों के रूप में मौजूद है। बहते हुए जल, रुके हुए जल या भूजल के विभिन्न संसाधनों से जल का उपयोग होता है। नदी-नाले, झील आदि बहते हुए जल के उदाहरण हैं। नदी पर तालाब और बांध बनाकर पाइपलाइनों द्वारा जल की आपूर्ति करना भी रुके हुए जल-उपयोग के उदाहरण हैं। भूजल, जिसे भूमिगत या भौमजल कहना ही उचित है, जमीन के अंदर होता है। भूमिगत जल का उपयोग कुओं-हैंडपंपों और ट्यूबवेलों जैसे जलस्त्रोतों किया जाता है। तालाबों और कुओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि कुओं का केवल भूमिगत जलस्रोत के रूप में उपयोग होता हैं, वहीं तालाबों में भूमिगत जल के अलावा बाहरी जल का जमाव भी हो जाता है।
जल का उपयोग सिंचाई, पशुपालन, परिवहन, उद्योग, जलविद्युत उत्पन्न करने एवं मत्स्य पालन आदि विभिन्न कार्यों में होने के साथ पीने के लिए भी होता है। पेयजल, सिंचाई तथा उद्योगों में भूमिगत जल यानी ग्राउंड वॉटर का व्यापक इस्तेमाल होता है। गांवों में पेयजल और कृषि कार्यों के लिए कुओं, हैंडपंपों तथा ट्यूबवेलों जैसे भूमिगत जलस्त्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं। औद्योगिक विकास के लिए भी भूमिगत जल की बड़ी मांग रहती है। फूड प्रोसेसिंग से लेकर वस्त्र उद्योगों तक में भूमिगत जल का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। भूजल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए भूजल का स्तर और न गिरे, इस दिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भूजल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी होगी। रैनवॉटर हार्वेस्टिंग इस दिशा में एक कारगर उपाय हो सकता है। छत पर प्राप्त भारी मात्रा में रूफटॉप वर्षाजल तथा सतही अप्रवाह जल दोनों के संचयन से ही यह काम हो सकता है। वर्षा के दौरान व्यर्थ बह रहे जल को रोककर भूजल स्तर में सुधार के साथ पुनर्भरण क्षमता भी बढ़ा सकते हैं।
भूजल संसाधनों के बारे में जनसाधारण को जागरूक बनाने और जल की महत्ता के बारे में उन्हें शिक्षित करने के लिए प्रदर्शनी, डॉक्यूमेंटरी फिल्मों, सूचनापरक विज्ञापनों आदि का सहारा भी लिया जा सकता है। भूजल मॉनिटरिंग-प्रबंधन में टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए उचित बजट प्रावधान की आवश्यकता है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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