भरतकुमार सोलंकी
मुंबई
क्या आपने कभी सोचा है कि शेयर बाजार में घंटों बैठकर स्क्रीन घूरने से आपकी असल कमाई बढ़ती है या घटती? दस लाख महीना कमाने वाला आदमी शायद ही यह फिक्र करता हो कि मार्वेâट आज ऊपर गया या नीचे, लेकिन एक लाख कमाने वाला हर मिनट भाव देखने में लगा रहता है। जो दो लाख मासिक निवेश कर रहा है, वह बिना किसी हो-हल्ले के अपने धंधे में लगा रहता है, लेकिन जो दस हजार बचा रहा है, वह दुनिया को यही जताने में जुटा रहता है कि उससे बड़ा होशियार पूरे गांव में कोई नहीं!
अब जरा सोचिए, पिछले चार दशकों में जो लोग शेयर बाजार से जुड़े रहे, उनमें से वही लोग आज सफल हैं जिनकी आमदनी का मजबूत आधार उनका खुद का व्यापार या कोई ठोस इनकम सोर्स है। निवेश के लिए पैसा चाहिए और पैसा कमाने के लिए धंधा चाहिए। अगर आपकी आमदनी ही सीमित रहेगी, तो निवेश वैâसे बढ़ेगा? और अगर निवेश नहीं बढ़ा, तो असल संपत्ति वैâसे बनेगी?
आइए, सीधा सवाल करते हैं, क्या आपने अपने खुद के धंधे को छोड़कर शेयर बाजार को अपना करियर बना लिया है? अगर हां, तो क्या उससे आपकी आमदनी लगातार बढ़ रही है? या फिर वही छोटी राशि के साथ खेलते-खेलते ४० साल बर्बाद कर दिए?
सच तो यह है कि शेयर बाजार में वक्त बर्बाद करके लोग अपनी असली कमाई के साधन को ही चौपट कर बैठते हैं। किसी और की टिप्स पर ट्रेडिंग करने वाले भूल जाते हैं कि अगर शेयर ट्रेडिंग से करोड़पति बनना आसान होता तो खुद ब्रोकर सबसे अमीर होते!
इसलिए निवेश के नाम पर शेयर बाजार में अपना पूरा समय झोंकने से पहले खुद से एक सवाल पूछिए, क्या आप अपना असली धंधा मजबूत कर रहे हैं या सिर्फ सपनों के सौदे कर रहे हैं? पैसा कमाने की असली कुंजी अपनी स्किल को निखारकर आमदनी बढ़ाने में है, न कि छोटी रकम के साथ बाजार में किस्मत आजमाने में।
याद रखिए, ‘जिसका काम उसी को साजे, दूजा करे तो बुद्धू बाजे!’
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)