सामना संवाददाता / नई दिल्ली
बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से भारत में घुसपैठियों की संख्या बढ रही है। मोदी सरकार इन्हें रोकने की बजाय इन्हें भारत आने का निमंत्रण दे रही है। इसकी वजह है कि इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर पर लखनऊ से भोपाल की दूरी से भी ज्यादा लंबी सीमा खुली पड़ी हुई है। वहां पर कोई फेंसिंग नहीं है। खुद मोदी सरकार ने संसद में इस बात को स्वीकार करते हुए बताया कि दोनों देशों की सीमा पर ८५६ किलोमीटर का क्षेत्र खुला हुआ है।
गौरतलब है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने के बारे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साजदा अहमद की तरफ से उठाए गए सवालों के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि सीमा के लगभग ८६४.४८२ किमी हिस्से पर अभी भी बाड़ लगाई जानी है और इसमें १७४.५१४ किमी की गैर-व्यवहार्य दूरी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा के ४,०९६.७ किलोमीटर में से ३,२३२.२१८ किलोमीटर हिस्से पर बाड़ लगी हुई है। मंत्री के जवाब में कहा गया, ‘बाड़ लगाने की परियोजनाओं के व्यवहार्य हिस्सों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों में भूमि अधिग्रहण, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की सीमित कार्य अवधि और भूस्खलन और दलदली भूमि पर आपत्तियां शामिल हैं।’
ममता सरकार ने दी जमीन
पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल ने गत मंगलवार को राज्य के दो और जिलों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को बाड़ लगाने और सीमा पर चौकियां बनाने के लिए जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जलपाईगुड़ी जिले के बिन्नागुड़ी में ०.०५ एकड़ और मालदा जिले के नारायणपुर में १९.७३ एकड़ जमीन बीएसएफ को सौंपी जाएगी।
बाड़ पर बनाई बात
राज्य मंत्री ने बाड़ के मामले में बात बनाते हुए कहा कि सीमा की सुरक्षा के लिए बाड़ लगाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तस्करी, अपराधियों की आवाजाही और तस्करी समेत सीमा पार आपराधिक गतिविधियों की चुनौतियों का समाधान करके अपराध मुक्त सीमा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
बीएसएफ करा रही घुसपैठ
मुख्यमंत्री ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बीएसएफ बांग्लादेश से घुसपैठ की अनुमति दे रही है। दूसरी ओर, भाजपा ने टीएमसी सरकार पर बांग्लादेश के साथ सीमा पर बाड़ लगाने में अधिकारियों की मदद नहीं करने का आरोप लगाया।