सामना संवाददाता / मुंबई
जिला कलेक्टर द्वारा की गई प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जालना जिले में भारी बारिश से हुई फसल क्षति के लिए किसानों को वितरित की गई सब्सिडी में ५० करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई है यानी घोटाला हुआ है। यह दो वर्षों, २०२३-२०२४ और २०२४-२०२५ के लिए प्रारंभिक जांच है। किसानों को वितरित अनुदान मामले की जांच जिले के बाहर के अधिकारियों से कराई जाए, ऐसी मांग विधायक अर्जुन खोतकर ने की है।
राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में फसल नुकसान के लिए १,५५२ करोड़ रुपए की निधि उपलब्ध कराई थी। इस सब्सिडी के वितरण में अनियमितताएं हुई हैं और इसे फर्जी किसानों को वितरित किया गया है। अनुदान वितरण का दायित्व कृषि, राजस्व एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का है। अधिकारियों और कर्मचारियों की यूजर आईडी और लॉगिन का उपयोग करके अनुदान वितरण सूची में किसानों के फर्जी नाम डाल दिए गए हैं।
विधायक खोतकर ने आरोप लगाया है कि जिले में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कुछ लोगों को अधिक सब्सिडी वितरित की गई है या सब्सिडी का लाभ पाने के लिए फर्जी बाग दिखाए गए हैं। पिछले दो वर्षों में भारी बारिश के कारण नुकसान झेलने वाले १५ लाख किसानों के खातों में सब्सिडी राशि जमा करा दी गई है। विधायक खोतकर ने जिला कलेक्टर से इस अवधि के दौरान अनुदान की ग्रामवार जानकारी उपलब्ध कराने, नुकसान की समेकित पंचनामा रिपोर्ट की मंडलवार जांच करने, अनुदान प्राप्त करने के बाद कृषि अधिकारी और तहसीलदार द्वारा वितरण सूची तैयार करने में देरी की जांच करने और जिला कलेक्टर द्वारा अंबड़ और घनसावंगी तालुका में पायलट आधार पर जांच के आदेश देने जैसी मांगें की गई हैं।