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म्यांमार-थाईलैंड में भूकंप के लिए … चीन का सुपर-डैम प्रोजेक्‍ट जिम्मेदार? …एक्‍सपर्ट का बड़ा दावा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
म्यांमार और थाईलैंड में आए ७.७ तीव्रता के भूकंप ने दोनों देशों में भारी तबाही मचाई। म्यांमार के मांडले के पास भूकंप का केंद्र था, जिससे सड़कों में दरारें आ गर्इं और इरावजी नदी पर बना एक पुल ढह गया। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी एक निर्माणाधीन इमारत गिरने से कई लोग हताहत हुए। इस आपदा के बीच कूटनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने एक सनसनीखेज दावा किया। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा कि म्यांमार में हिमालयी भूकंप बेल्ट के पास चीन की सुपर-डैम परियोजना क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता को बढ़ा सकती है। तो क्‍या चीन की सुपर-डैम परियोजना इस तबाही के लिए जिम्मेदार है?
म्यांमार हिमालयी भूकंप बेल्ट में स्थित है, जहां भारतीय प्लेट इंडो-चाइना प्रायद्वीप के नीचे धंस रही है। इस क्षेत्र में सागाइंग फॉल्ट जैसी भूगर्भीय संरचनाएं मौजूद हैं, जो भूकंप के लिए जानी जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के भूकंप भारतीय प्लेट के धंसने के कारण होते हैं। आज का भूकंप भी इसी प्राकृतिक गतिविधि का परिणाम है, जिसका केंद्र जमीन से मात्र १० किलोमीटर नीचे था। इस गहराई के कारण झटके म्यांमार से थाईलैंड और दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत तक महसूस किए गए।

क्‍या कहता है साइंस?
भूकंप विशेषज्ञों के अनुसार, रिजर्वायर-इंड्यूस्ड सीस्मिसिटी आमतौर पर ४ से ५ तीव्रता के भूकंप पैदा करती है। बड़े भूकंप (७.७ तीव्रता) के लिए टेक्टोनिक प्लेटों की गहरी गतिविधि जिम्मेदार होती है, जो मानव निर्मित परियोजनाओं से प्रभावित नहीं होती। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने भी पुष्टि की है कि यह भूकंप भारतीय प्लेट के धंसने से जुड़ा है। मायित्सोन डैम का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है, इसलिए इसके जलाशय का कोई दबाव क्षेत्र में नहीं है। ऐसे में इस भूकंप को चीन की परियोजना से जोड़ना वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है।

चेलानी का मानना है कि ऐसी बड़ी परियोजनाएं भूगर्भीय संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि बड़े बांधों के जलाशयों का वजन (रिजर्वायर-इंड्यूस्ड सीस्मिसिटी) कुछ मामलों में छोटे भूकंपों को ट्रिगर कर सकता है, लेकिन क्या यह ७.७ तीव्रता के भूकंप का कारण बन सकता है?

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