मुख्यपृष्ठस्तंभबढ़ती जा रही है भाजपा की तानाशाही!

बढ़ती जा रही है भाजपा की तानाशाही!

योगेश कुमार सोनी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद स्थित पैतृक गांव हिसावदा में बीते गुरुवार को गाजियाबाद से सीबीआई की टीम पहुंची। यहां तीन घंटे की जांच पड़ताल के बाद टीम वापस लौट गई। बताया जा रहा है कि टीम को कोई संदिग्ध दस्तावेज या रिकॉर्ड नहीं मिला है। उस टीम में स्थानीय पुलिस समेत पांच सदस्य शामिल रहे। इस इलाके में सत्यपाल मलिक की पैतृक हवेली है, जो जर्जर हालत में है। वहां सीबीआई की टीम ने सत्यपाल मलिक के पड़ोसियों से बातचीत की। इस मामले पर राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, `किसान एमएसपी मांगें, तो उन्हें गोली मारो- ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी? जवान नियुक्ति मांगें, तो उनकी बातें तक सुनने से इनकार कर दो -ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी? पूर्व गवर्नर सच बोलें, तो उनके घर सीबीआई भेज दो-ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी? सबसे प्रमुख विपक्षी दल का बैंक अकाउंट प्रâीज कर दो-ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी?’ `धारा १४४, इंटरनेट बैन, नुकीली तारें, आंसू गैस के गोले-ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी? मीडिया हो या सोशल मीडिया, सच की हर आवाज को दबा देना-ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी? मोदी जी, जनता जानती है कि आपने लोकतंत्र की हत्या की है और जनता जवाब देगी!’ भारतीय जनता पार्टी की इस तरह की बदला लेने की शैली से स्पष्ट हो जाता है कि जो भी उनके खिलाफ आवाज उठाएगा उसे किसी भी विभागीय जांच से परेशान किया जाएगा। पूरा विपक्ष इस बात को कहता है कि कोई चाहे कितना भी करप्ट हो, लेकिन जैसे ही भाजपा में शामिल हो जाता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं, वही इसके विपरीत जो भी सच बोलेगा, उसको जेल जाना पड़ेगा। हाल में इसके कई सजीव उदाहरण हैं। फिलहाल, सत्यपाल मलिक का मुद्दा गरम चल रहा है तो बता दिया जाए कि बीते कुछ समय वो मोदी सरकार की नीतियों से असंतुष्ट दिख रहे थे। वे सभी बातों को आम जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन उनको भी इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। आज देश की राजनीति में एक अजीब सा माहौल बना हुआ है, जिससे हर कोई विचलित नजर आ रहा है। कोई अपनी मर्जी से कुछ बोल नहीं सकता, जी नहीं सकता। यह देश के लिए एक अच्छा संकेत नहीं हैं। यदि आज राजनीति में आने वाली नई पीढ़ी यह सब सीख गई तो वह भी भविष्य में ऐसा ही करेगी। हम अव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका निश्चित तौर पर दुष्परिणाम भुगतना ही होगा। इस कुंठाग्रस्त माहौल में हम जी तो रहे हैं, लेकिन आना वाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। हमने तानाशाह शासकों के बारे में पढ़ा था, लेकिन इस बार स्वयं अपनी खुली आंखों से देख भी रहे हैं। विपक्ष के तमाम नेता बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन डर के मारे उनकी आवाज नहीं निकल रही है। वैसे उनको पता है कि जैसे ही कुछ बोला तो सीबीआई व ईडी जैसे विभाग पीछे न लग जाए। मलिक को वर्ष २०१२ में भाजपा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। २०१४ में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद मलिक को २०१७ में बिहार का राज्यपाल बनाया गया। बिहार के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी मिली। वर्ष २०१८ में उन्हें यहां का राज्यपाल बनाया गया। उन्हीं के कार्यकाल में वर्ष २०१९ में अनुच्छेद ३७० के प्रावधान निरस्त किए गए। इसके बाद उन्हें २०१९ में गोवा का राज्यपाल बनाया गया, फिर वर्ष २०२० में मलिक को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए भाजपा के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं २०१९ में पुलवामा हमले को लेकर भी मलिक ने कई गंभीर दावे किए और केंद्र समेत गृह मंत्रालय पर आरोप लगाए। इसके बाद वे किसान आंदोलन में सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर रहे, जिसके बाद उनको विभागीय तौर पर लगातार परेशान किया जा रहा है, लेकिन राहुल गांधी व देश उनके समर्थन में खड़ा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)

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