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सौंदर्यीकरण है या प्रकाश प्रदूषण? ….. शिंदे सरकार ने थोप दीं सड़कों पर करो़ड़ों की सस्ती लाइटें

सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले एक साल से मनपा का मेन फोकस मुंबई के सौंदर्यीकरण, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, सफाई और वायु प्रदूषण पर है। मुंबई की सुंदरता को बढ़ाने और शहर को सजाने के लिए मनपा ने मोर और फूल आकार की लाइट्स पश्चिमी मुंबई के इलाकों, जैसे कि एक्सप्रेस हाईवे, सांताक्रुज-चेंबूर लिंक रोड, बोरीवली, कांदिवली, दादर, परेल और विक्रोली की आंतरिक सड़कों पर लगाई हैं। इन सड़कों को सुंदर बनाने के लिए और पूरी मुंबई का सौंदर्यीकरण करने के लिए मनपा ने अब तक ७२० करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं और दो दिन पहले पेश हुए बजट में इसका कोई जिक्र भी नहीं था। यानी इससे साफ जाहिर होता है कि मनपा को लोगों के ७२० करोड़ बस यूं ही खर्च कर देने में जरा भी संकोच नहीं हुआ, लेकिन सड़कों पर लगाए गए घटिया दर्जे की लाइटें शहर में प्रकाश प्रदूषण पैâला रही हैं। मनपा आयुक्त ने भी यह स्वीकार किया है और इसे बदलने की बात कही है।
७२० करोड़ रुपए का चूना लगा दिया
पूरी मुंबई को सुंदर बनाने के लिए साल २०२२ में शिंदे सरकार ने मनपा को ७२० करोड़ रुपए दिए थे, जिसमें से मुंबई को सुंदर बनाने के लिए लाइट के प्रोजेक्ट को सस्ते में निपटा दिया गया। यानी लोगों का पैसा उनके ही स्वास्थ्य को खराब करने के लिए किया जा रहा है, वहीं अब इन सस्ती लाइटों को बदलकर कब इन्हें एलईडी लाइटों में बदला जाएगा, उसकी भी कोई तारीख मनपा ने नहीं बताई।
मनपा आयुक्त ने स्वीकारी गलती
रास्ते पर लगाई गई रंग-बिरंगी घटिया लाइटें, जिन्हें रास्तों को सुंदर बनाने के लिए लगाया जाता है। उनसे ऊर्जा प्रदूषण किस तरह पैâल रहा है मनपा ने इसका अंदाजा नहीं लगाया। प्रेसवार्ता में जब मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए स्वीकार किया कि सड़कों पर सजावट के लिए लगाई गई लाइटें सस्ती और घटिया दर्जे की थी।

पर्यावरण और आंखों पर पड़ता है विपरीत असर
ऐसी लाइटों से ड्राइविंग कर रहे लोगों की आंखों में भारी प्रभाव पड़ता है। तेज रोशनी के कारण आंखों में जलन का एहसास होता है, लेकिन मनपा ने यह नहीं सोचा होगा। एक तरफ सिग्नल पर ध्यान देना तो दूसरी ओर ऐसी चमकती लाइटों से ड्राइवर का ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इन लाइटों से प्रकाश प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

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