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क्या आचार संहिता से बाहर है रेलवे? … महाराष्ट्र में लंबी दूरी की ट्रेनों पर चिपके हैं पोस्टर केंद्र की योजनाओं का खुलेआम हो रहा है प्रचार

-आंखें मूंदे बैठा है चुनाव आयोग
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव घोषित होने के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। इस दौरान सरकार की योजना वाले सारे बैनर होर्डिंग्स हटा दिए गए हैं। मगर अभी भी प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें लगी कई योजनाओं का प्रचार जारी है। लंबी दूरी की ट्रेनों में ऐसे पोस्टर चिपके हुए हैं और अन्हें अभी तक हटाया नहीं गया है। ऐसे में सवाल है कि क्या भारतीय रेलवे पर आचार संहिता लागू नहीं होती? क्या आचार संहिता से रेलवे बाहर है?

आचार संहिता को ठेंगा दिखाते हुए
भाजपा का प्रचार पोस्टर लेकर
पटरियों पर दौड़ रही है रेल!

भारत में चुनाव प्रक्रिया के दौरान लागू की गई आचार संहिता का उद्देश्य निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मध्य रेलवे ने इसे दरकिनार कर दिया है। पश्चिम महाराष्ट्र और कोकण क्षेत्र में लोकसभा चुनावों की घोषणा के बावजूद, मध्य रेलवे द्वारा संचालित कोल्हापुर-मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) स्पेशल ट्रेन के कई डिब्बों में महायुति (भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों) के प्रचार की भरमार देखी जा रही है।
यह ट्रेन हर बुधवार को संचालित होती है और ५१८ किलोमीटर की दूरी लगभग १५ घंटे ३० मिनट में तय करती है। इस मार्ग में कई प्रमुख स्टेशन जैसे मिरज, पुणे, और कल्याण शामिल हैं, जहां यात्रियों की भारी संख्या रहती है। इसके बावजूद, इस ट्रेन के अधिकांश कोच महायुति के बैनरों और पोस्टरों से सजे हुए हैं। आचार संहिता के बावजूद, प्रचार सामग्री को खुलेआम प्रदर्शित किया जा रहा है, जो चुनाव आयोग के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह न केवल रेलवे की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर भी गंभीर प्रश्न उठाता है। अब सवाल है कि क्या चुनाव आयोग इस प्रकार के उल्लंघनों पर जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है! चुनावों की घोषणा के साथ ही सरकारी संसाधनों का किसी राजनीतिक दल के प्रचार में उपयोग करना पूर्णतया प्रतिबंधित है।

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