फिल्म ‘आयशा’ में सोनम कपूर और अभय देओल के साथ नजर आईं ईरा दुबे अपनी मां लिलिएट दुबे के पदचिह्नों पर चलते हुए थिएटर और टीवी के लिए काम किया है। अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार पा चुकीं इरा ‘सोनी लिव’ पर प्रसारित हो रहे निखिल आडवाणी के वेब शो ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। पेश है, इरा दुबे से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
शो ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ स्वीकारने की क्या वजह थी?
शो ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ की कहानी देश के हर दूसरे नागरिक को झिंझोड़ कर रख देगी। यह कहानी उस दौर की है जब देश से ब्रिटिश दूर हो चुके थे और कई तरह की नई चुनौतियां थीं। करोड़ों की आबादी वाले इस देश के नागरिकों का नेतृत्व किसे दिया जाए, ऐसी कई समस्याएं थीं। निखिल आडवाणी निर्देशित यह शो इतिहास के उन पन्नों को सामने लाता है, जिसके बारे में खासकर युवा पीढ़ी नहीं जानती।
अपने किरदार के बारे में कुछ बताएंगी?
मोहम्मद अली जिन्ना, जिन्हें लोग पाकिस्तान के फाउंडर के रूप में जानते हैं, उनकी बहन का नाम था फातिमा। डॉक्टर होने के साथ ही फातिमा बेहद सशक्त स्त्री थीं, लेकिन इतिहास में ऐसी धुरंधर महिला पर ज्यादा रोशनी नहीं डाली गई। जब मुझे निखिल आडवाणी ने फातिमा का किरदार ऑफर किया तो लगा मानो मैं धन्य हो गई।
इस शो के बाद दर्शकों की भावनाएं इतिहास के प्रति बदल जाएंगी?
शो ‘ फ्रीडम एट मिडनाइट’ की कहानी पूरी तरह सच्ची होगी, ऐसा नहीं है। फिक्शन का भी कुछ अंश होगा। जब विभाजन हुआ तो बंद दरवाजे के पीछे पंडित नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल थे। कोई नहीं जानता उस बंद दरवाजे के पीछे क्या बातचीत हुई और किस नेता ने क्या कहा? किसी के पास उनकी बातचीत का कोई डॉक्युमेंटेशन उपलब्ध नहीं है। असली सच्चाई कोई नहीं जानता। उनके बीच क्या चर्चाएं होती रहीं यह सत्य शायद आंखें खोलने वाला हो सकता है। मेरे दादा-दादी और नाना-नानी ने विभाजन की त्रासदी झेली और देखी थी। मेरे नानाजी रेलवे में थे और नौकरी के दौरान ट्रेन से आई अनगिनत लाशें उन्होंने खुद देखी हैं। दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे और देश की लड़ाई के लिए वे जेल गए थे। बस, वेब शो में इन सच्ची घटनाओं को ड्रैमेटिक तरीके से दिखाया जाएगा। नई पीढ़ी इतिहास देखे और पढ़े व जाने यह जरूरी है।
आपके लिए सबसे ज्यादा चैलेंजिंग क्या रहा?
मुझे लगता है जब भी कलाकार कोई किरदार निभाता है उसे उस किरदार से प्यार होना चाहिए और पूरी ईमानदारी के साथ किरदार में घुल-मिल जाना चाहिए। मोहम्मद अली जिन्ना चाहते थे कि पाकिस्तान बने। फातिमा भी अपने भाई की इस मंशा को अंजाम देने की ख्वाहिश रखती थी। चैलेंजिंग यही था कि अपने भाई के मंसूबों को पूरा करना फातिमा का मकसद था और उसकी भी यही मंशा थी। जिन्ना की जिंदगी की प्रेरणा, उनकी ताकत उनकी बहन फातिमा थी, जिसकी खास जानकारी उपलब्ध न होने के बावजूद थोड़े तर्क, थोड़े रिसर्च और थोड़े इतिहास की मदद से फातिमा के किरदार को निभाना आसान न था। अफसोस यह कि दुनिया के इतिहास में महिलाओं के चित्रण पर ज्यादा गौर नहीं किया गया।
क्या ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ किताब पर इस शो का निर्माण हुआ?
बिल्कुल, यह बेस्ट सेलर किताब रही है और देश का इतिहास बदलने वाली उस घटना की सच्चाई देश जानना चाहता है। इसलिए इतिहास जानना नई पीढ़ी के लिए आवश्यक है।