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पानीपुरी का पानी नहीं कैंसर का लोचा है! … महाराष्ट्र में भी हुई उठने लगी एफडीए से जांच की मांग

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
पानीपुरी खाने से पहले सावधान रहना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पानीपुरी का पानी कोई साधारण पानी नहीं, बल्कि कैंसर का लोचा है। हाल ही में कर्नाटक में पानीपुरी यानी गोलगप्पे के कई सैंपलों की जांच की गई, जिसमें २२ फीसदी दूषित पाए गए और उनमें कैंसर को बढ़ावा देनेवाले तत्व पाए गए। इसके बाद अब मुंबई में भी पानीपुरी की जांच की मांग तेज हो गई है।
बता दें कि कॉटन कैंडी, गोभी मंचुरियन और कबाब के बाद अब लोकप्रिय स्ट्रीट फूड पानीपुरी में भी कैंसर का लोचा पाया गया है। खाद्य सुरक्षा व गुणवत्ता विभाग ने इसमें इस्तेमाल की जानेवाली सामग्री, खास तौर पर सॉस और मीठा काड़ा पाउडर में वैंâसरकारी तत्व मिलने के संकेत दिए हैं। बताया गया है कि कर्नाटक में इकट्ठा किए गए करीब ४०० नमूनों में से २२ फीसदी सैंपल दूषित पाए गए।
पानीपुरी का अत्यधिक सेवन आपके स्वास्थ्य को चौपट कर सकता है। असल में कर्नाटक में पानीपुरी की जांच में कई हानिकारक तत्व मिले हैं। ऐसे में वहां पानीपुरी विक्रेताओं पर स्वास्थ्य विभाग की गाज गिर सकती है। इसी क्रम में अब महाराष्ट्र में भी एफडीए द्वारा पानीपुरी की जांच किए जाने की मांग हुई है। बताया गया है कि मुंबई में पांच हजार से अधिक, जबकि महाराष्ट्र में २२,००० पानीपुरी के विक्रेता हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक भर में विभिन्न स्थानों से पानीपुरी के नमूने एकत्र किए, जिनमें बंगलुरु में ४९ स्थान शामिल हैं। खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य भर में एकत्र किए गए ४०० से अधिक नमूनों में से २२ फीसदी असुरक्षित और खराब गुणवत्ता के थे। निरीक्षण में ४-५ कैंसरकारी रसायनों सन सेट यलो, ब्रिलिएंट ब्लू, टेट्रा जान और कार्सिनोजेनिक केमिकल्स के इस्तेमाल का पता चला। फिलहाल अभी भी कुछ परीक्षणों के परिणाम लंबित हैं। एक बार ये प्राप्त हो जाने के बाद इन हानिकारक पदार्थों पर संभावित प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की जाएगी।
५-७ वर्षों तक नियमित रूप से ऐसे पानीपुरी का सेवन करने से अल्सर और वैंâसर सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विभाग जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इन हानिकारक तत्वों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री और विभाग के प्रधान सचिव के साथ आगे की चर्चा होगी। डॉक्टर के अनुसार, इन कृत्रिम रंगों से पेट की खराबी से लेकर हार्ट की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ऑटोइम्यून नामक बीमारी भी हो सकती है। ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर एसोसियेशन के अध्यक्ष अभय पांडेय ने कहा कि बारिश का मौसम है। इस मौसम में लोग स्ट्रीट फूड खासकर महिलाएं पानीपुरी का अत्यधिक सेवन करती हैं। यह व्यंजन सभी का चहेता है। बारिश के मौसम में बैक्टेरियल और वायरल इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे समय में महाराष्ट्र में एफडीए की जवाबदेही है कि पानीपुरी की जांच करनी चाहिए। हालांकि, महाराष्ट्र में एफडीए पानीपुरी वालों की जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम पत्र लिखकर एफडीए से इस पर संज्ञान लेने की मांग करेंगे।

 

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